Aakash Waghmare
24 Dec 2025
इंदौर। शराब ठेकेदार की आत्महत्या से जुड़े हाई-प्रोफाइल मामले में निलंबित सहायक आबकारी अधिकारी मंदाकिनी दीक्षित को हाईकोर्ट से करारा झटका लगा है। अदालत ने साफ कर दिया कि मौजूदा हालात में किसी भी तरह की अंतरिम राहत देना संभव नहीं है। कोर्ट ने शासन को पूरे घटनाक्रम पर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश देते हुए संकेत दे दिए हैं कि मामला बेहद गंभीर प्रकृति का है।
निलंबन के खिलाफ कोर्ट पहुंचीं अफसर, लेकिन शासन की आपत्ति भारी पड़ी
निलंबित आबकारी अधिकारी ने हाईकोर्ट में दलील दी कि उनका पक्ष सुने बिना ही निलंबन की कार्रवाई की गई, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। हालांकि, शासन ने इस दलील को सिरे से खारिज करते हुए कोर्ट को बताया कि याचिका प्रक्रियात्मक रूप से ही दोषपूर्ण है।शासन की ओर से कहा गया कि नियमों के अनुसार निलंबित अधिकारी को पहले राज्यपाल के समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत करना चाहिए था, लेकिन उस वैधानिक प्रक्रिया को नजरअंदाज कर सीधे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया, जिससे याचिका की वैधता ही संदेह के घेरे में आ जाती है।
विवादित ऑडियो से बढ़ी मुश्किलें, सबूतों से छेड़छाड़ का खतरा
मामले में सामने आए एक ऑडियो क्लिप ने जांच को और गंभीर बना दिया है। इस ऑडियो में शराब ठेकेदार को कथित रूप से प्रताड़ित किए जाने की बातें सुनाई दे रही हैं। शासन ने कोर्ट को चेताया कि यदि इस स्तर पर अफसर को बहाल किया गया, तो पद पर रहते हुए सबूतों से छेड़छाड़ या जांच को प्रभावित करने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।फिलहाल पुलिस आत्महत्या के इस पूरे मामले की गहन जांच में जुटी हुई है। उपलब्ध तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि जांच के बीच किसी भी तरह की राहत देना न्यायोचित नहीं होगा।
जनवरी तक निलंबन बरकरार, बढ़ सकती हैं कानूनी मुश्किलें
हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई जनवरी में तय की है। तब तक निलंबित आबकारी अधिकारी मंदाकिनी दीक्षित पर लगा निलंबन जारी रहेगा।शराब ठेकेदार आत्महत्या कांड में फंसी अफसर की मुश्किलें फिलहाल कम होती नहीं दिख रहीं, बल्कि जांच आगे बढ़ने के साथ कानूनी शिकंजा और कसने के संकेत मिल रहे हैं।