Naresh Bhagoria
19 Dec 2025
राजीव सोनी, भोपाल। नक्सलमुक्त होने के बाद मध्यप्रदेश के बालाघाट सहित मंडला और डिंडौरी जिलों में भी अब डेवलपमेंट की योजनाएं रफ्तार पकड़ेंगीं। करीब साढ़े तीन दशक से एंटी नक्सल ऑपरेशन के नाम पर नक्सल क्षेत्रों में गोला-बारूद और अन्य मदों में खर्च हो रही सैकड़ों करोड़ रुपए की राशि अब डेवलपमेंट में लगेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नक्सल प्रभावित रहे तीनों जिलों को स्पेशल पैकेज में शामिल कर समृद्ध और विकसित बनाने का ऐलान किया है। इसमें केंद्र से मिलने वाली राशि का भी सहयोग लिया जा सकता है।
नक्सल उन्मूलन के लिए इन क्षेत्रों में तैनात मप्र पुलिस की विशेष टुकड़ियां और इस अभियान का पूरा खर्च केंद्रीय और राज्य के बजट पर आधारित रहा। केंद्र हर साल इन योजनाओं के लिए भारी-भरकम राशि का फंड जारी करता है। एंटी नक्सल ऑपरेशन की विशेष स्कीमों में खासतौर पर सुरक्षा संबंधी खर्च (एसआरई) योजना, विशेष अवसंरचना योजना (एसआईएफ), विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए), स्पेशल फोर्स, हॉक फोर्स और खुफिया शाखाओं को मजबूत करने पर केंद्र हर साल करोड़ का फंड जारी करता है।
वर्ष 2025-26 में लेफ्ट विंग एक्ट्रीमिज्म (LWE) क्षेत्रों के लिए केंद्र ने 3,481 करोड़ का प्रावधान रखा जिसमें मप्र के लिए सड़क और सुरक्षा कैंपों को भी हिस्सा मिलेगा। नक्सलमुक्त होने के बाद अब इन तीनों जिलों बालाघाट, मंडला व डिंडौरी में औद्योगिक विकास, सिंचाई, सड़क, सौर ऊर्जा और अन्य योजनाओं के लिए 5 से 7 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त राशि की जरूरत बताई गई है।
इस बारे में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि केंद्र से नक्सल मुक्त के लिए मिलने वाली मदद की हमें इसकी जरूरत भी नहीं। राज्य का नक्सलमुक्त होना बड़ी बात है। इन जिलों में तेजी से विकास योजनाएं शुरू होंगी। बालाघाट,मंडला और डिंडौरी को स्पेशल पैकेज में शामिल करने का निर्णय किया है।
बालाघाट जिले में 7 दिसंबर को मुख्यमंत्री डॉ. यादव के सामने 10 दुर्दांत नक्सलियों का हथियार छोड़ समाज की मुख्यधारा में शामिल होना अब तक का सबसे बड़ा नक्सली सरेंडर माना गया है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश नक्सलमुक्त घोषित हो गया है। इन नक्सलियों पर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ (MMC) सरकारों ने कुल 2.36 करोड़ रुपए का इनाम घोषित कर रखा था।