Hemant Nagle
29 Oct 2025
Hemant Nagle
29 Oct 2025
Manisha Dhanwani
28 Oct 2025
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में शनिवार सुबह जिला प्रशासन ने कॉलेज छात्राओं से रेप और लव जिहाद के आरोपी साद और साहिल के अवैध मकानों पर बुलडोजर चलाया। यह मकान सरकारी जमीन पर बने थे। तीसरे आरोपी फरहान के मकान पर कार्रवाई फिलहाल टाल दी गई है, क्योंकि उसकी सुबह 11 बजे कोर्ट में पेशी है। कोर्ट की कार्रवाई पूरी होने के बाद फरहान के अर्जुन नगर स्थित मकान को भी ध्वस्त किया जाएगा।
कार्रवाई से पहले 12 सितंबर को मकानों के आसपास बैरिकेडिंग कर दी गई थी। शनिवार तड़के करीब 5 बजे प्रशासनिक अफसर भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू की। मौके पर 500 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात रहे ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।
आरोपियों के परिजनों ने कोर्ट में स्थगन (स्टे) के लिए आवेदन लगाया था, लेकिन कोर्ट ने कार्रवाई पर रोक नहीं लगाई। इसके बाद प्रशासन ने पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए बुलडोजर चलाने का फैसला किया। गोविंदपुरा तहसीलदार सौरभ वर्मा ने बताया कि, आरोपियों को पहले ही नोटिस जारी कर 4 सितंबर तक अवैध कब्जा हटाने के लिए कहा गया था, लेकिन समय सीमा बीतने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई।
फरहान खान: गिरोह का मास्टरमाइंड। हिंदू छात्राओं को फंसाने और वीडियो वायरल करने की धमकी देकर रेप करने का आरोप।
साहिल खान: मूलतः पन्ना का निवासी। भोपाल में डांस क्लास चलाता था। कई छात्राओं को टारगेट कर रेप किया।
अली खान: होटल में छात्रा से दुष्कर्म और उसका वीडियो बनाकर फरहान को भेजा।
साद: मैकेनिक, फरहान का दोस्त। पैसों के लालच में लड़कियों को लाता-ले जाता था और उन्हें नशा पिलाने का काम करता था।
अबरार: कोलकाता निवासी, पढ़ाई छोड़ चुका। आरोप है कि इसके कमरे में भी छात्रा से रेप हुआ।
नबील: बिहार निवासी। छात्राओं को बदनाम करने और ब्लैकमेलिंग में भूमिका।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को दी गई शिकायत में खुलासा हुआ था कि भोपाल के एक निजी कॉलेज की छात्राओं को पहले दोस्ती के नाम पर फंसाया गया, फिर रेप किया गया। इसके बाद उनके अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया गया और धर्म बदलकर निकाह करने का दबाव बनाया गया। आयोग ने इसे सुनियोजित और संगठित अपराध बताया है, जिसका नेटवर्क अन्य राज्यों तक फैला हो सकता है।
साहिल की मां ने मीडिया से बातचीत में कहा, “अगर कोर्ट में साबित हो जाता कि मेरा बेटा दोषी है तो मैं मान लेती, लेकिन अभी हमें किस बात की सजा मिल रही है? अगर घर अवैध था तो बनाने क्यों दिया गया?” उन्होंने छोटे बच्चों के भविष्य की चिंता भी जाहिर की।
भोपाल का यह मामला लंबे समय से सियासी और सामाजिक बहस का विषय बना हुआ था। मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंचा और सरकार ने इसे गंभीरता से लिया। अब जिला प्रशासन की बुलडोजर कार्रवाई को राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी का हिस्सा माना जा रहा है।