Vijay Gaur
25 Dec 2025
पचमढ़ी / भोपाल। मध्य प्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी में नए साल के जश्न के बीच ंअचानक इको सेंसेटिव जोन और प्रस्तावित जनरल मास्टर प्लान के विरोध में स्थानीय लोग और होटल व्यवसायी सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदर्शनकारियों ने जाम लगाते हुए मास्टर प्लान को एकतरफा और स्थानीय लोगों को अंधेरे में रखकर प्रस्तावित करने का तीखा विरोध किया है।
पचमढ़ी बचाओ संघर्ष समिति के नेतृत्व में गुरुवार को शांतिपूर्ण धरना दिया गया, जबकि शुक्रवार 26 दिसंबर को 3 घंटे तक पूरा पचमढ़ी बाजार बंद रखने और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व प्रबंधन का पुतला दहन की रणनीति बनाई गई है। इसके लिए गठित 31 सदस्यीय पचमढ़ी बचाओ संघर्ष समिति के संजय लेडवानी, चाणक्य बख्शी, कमल धूत, सुनील शुक्ला, संदीप जैन, पवन झा, गोविंद अग्रवाल, संजीव गुप्ता और नफीस खान आदि ने धरने को संबोधित करते हुए प्रस्तावित प्लान से पचमढ़ी का अस्तित्व ही खत्म करने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बंद कमरों में बनाया गया प्लान जमीनी हकीकत से कोसों दूर है, जिसको निरस्त करके संशोधित प्लान लाने की जरुरत है।
नए साल में परेशान हो रहे सैलानी
उल्लेखनीय होगा कि क्रिसमस और न्यू ईयर की छुट्टियों के कारण पचमढ़ी के होटल, रेस्टोरेंट और बाजार अभी हाउसफुल चल रहे हैं। होटलों के कमरे का किराया 2 हजार रुपए से बढ़कर 10 हजार रुपए से भी ज्यादा हो चुका है। बावजूद सारे होटल फुल हैं, ऐसे में बाजार बंद होने और आंदोलन के चलते यहां घूमने आए हजारों पर्यटकों को चाय-नाश्ते और खाने-पीने के लिए परेशान होना पड़ सकता है। वहीं टैक्सी सेवा के पहिए थमने से आवागमन ठप हो जाएगा।
कार्निवाल के विरोध की तैयारी
व्यापारियों ने शुक्रवार को पचमढ़ी उत्सव के लिए निकलने वाले कार्निवाल के बहिष्कार की भी चेतावनी दी है। आंदोलन कारियो का कहना है कि इको सेंसेटिव जोन के नए नियम स्थानीय रहवासियों के हितों के खिलाफ है। पचमढ़ी बचाओ संघर्ष समिति ने सभी व्यापारियों नागरिकों और जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वह अधिक से अधिक संख्या में इस आंदोलन में शामिल हों। प्रदर्शन के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।
इस वजह से हो रहा विरोध
विरोध की सबसे बड़ी वजह जोनल मास्टर प्लान की भाषा और गोपनीयता है। प्रशासन ने 400 पेज का जो मास्टर प्लान तैयार किया है, वह पूरा अंग्रेजी में है। पचमढ़ी के दायरे में आने वाले अधिकतर ग्रामीण और आदिवासी परिवेश के होने से अंग्रेजी नहीं समझ सकते। ऐेसे में पचमढ़ी बचाओ संघर्ष समिति ने ड्राफ्ट को हिंदी में जारी करने की मांग की है, ताकि लोग जान सके कि इसमें उनका फायदा है या नुकसान। यह भी आरोप लगे हैं कि एसटीआर प्रबंधन ने दावे आपत्ति बढ़ाने की औपचारिकता भी गुपचुप तरीके से पूरी कर ली, जिसकी 13 दिसंबर आखिरी तारीख थी और इसकी सूचना इसके गेट पर एक कागज में चिपका दी गई। इस पर किसी की नजर ही नहीं पड़ी। सूचना को बड़े होर्डिंग या मुनादी के जरिए प्रचारित नहीं किया गया, जिससे अधिकांश लोग आपत्ति दर्ज नहीं करा पाए।
आम राय ली ना 300 पेज की जानकारी दी
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व द्वारा जो सर्वे रिपोर्ट बनाई गई हे, उसमें आम जनता की राय नहीं ली गई है, जबकि ऐसे मामले में जनता राय लेना अनिवार्य होता है। वहीं वेबसाइट पर लगभग 300 पेज की जानकारी डाली जाकर अभिमत मांगा गया है, यह तरीका भी आम लोगों को नागवार लग रहा है। समिति का कहना है कि जन, जंगल ओर जानवरों सभी के हितों को ध्यान में रखते हुए नीति ओर नियम बनाया जाना चाहिए, परन्तु इसके विपरीत आम जन के हितों को नजर अंदाज कर नीति निर्धारित की जा रही हे।