Manisha Dhanwani
31 Dec 2025
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आज बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों ने पांच दिवसीय बैंकिंग सप्ताह की मांग को लेकर ऐतिहासिक और प्रभावशाली प्रदर्शन किया। यह आंदोलन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) के राष्ट्रव्यापी आह्वान का हिस्सा था, जिसके तहत देश के हर स्टेट कैपिटल में बैंक कर्मी एकजुट होकर प्रदर्शन कर रहे हैं। भोपाल में हुए इस प्रदर्शन में शहर के विभिन्न बैंक कार्यालयों और केंद्रों से बड़ी संख्या में अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए। लोगों ने हाथों में बैनर लिए जमकर प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन के दौरान बैंक कर्मियों ने 'We Demand 5 Days Banking' और 'पांच दिवसीय बैंकिंग सप्ताह हमारा अधिकार' जैसे नारे लगाए। इन नारों के जरिये सरकार और बैंक प्रबंधन को यह संदेश दिया गया कि वर्षों से लंबित इस मांग को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बैंक कर्मियों का कहना है कि आधुनिक बैंकिंग के दौर में काम का बोझ लगातार बढ़ा है, लेकिन सुविधाएं और संतुलन पीछे छूट गया है।
AIBOC मध्यप्रदेश के अध्यक्ष सुबीन सिन्हा ने कहा कि आज बैंकिंग सेक्टर की असली चुनौती कार्यदिवस नहीं, बल्कि बढ़ता मानसिक और पेशेवर दबाव है। उन्होंने कहा कि पांच दिवसीय बैंकिंग सप्ताह से कर्मचारियों के स्वास्थ्य, परिवार और कार्यक्षमता में संतुलन आएगा, जिससे पूरी व्यवस्था मजबूत होगी।
AIBOC मध्यप्रदेश के सचिव दिनेश झा ने भी साफ शब्दों में कहा कि डिजिटल बैंकिंग के विस्तार के बाद बैंक कर्मियों की जिम्मेदारियां कई गुना बढ़ गई हैं। उनके अनुसार पांच दिवसीय सप्ताह कोई विशेष सुविधा नहीं हैं।
SBIOA भोपाल सर्कल के अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव ने कहा कि पांच दिवसीय बैंकिंग सप्ताह से कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा और बैंकिंग सिस्टम ज्यादा संवेदनशील व परिणामोन्मुख बनेगा। उन्होंने कहा कि अधिकारी संगठन इस मांग को लेकर पूरी ताकत से संघर्ष करता रहेगा।

SBIOA के DGS रजनीश पौराणिक ने कहा कि लगातार लंबे कार्य घंटे और लक्ष्य का दबाव बैंक कर्मियों की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। उनका कहना था कि पांच दिवसीय बैंकिंग से उत्पादकता, सेवा गुणवत्ता और कार्य-संतोष तीनों में सकारात्मक बदलाव आएगा।अन्य वक्ताओं ने कहा कि बैंक कर्मी देश की आर्थिक व्यवस्था की रीढ़ हैं, लेकिन लगातार बढ़ते टारगेट, सीमित अवकाश और वर्क-लाइफ असंतुलन ने उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाला है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पांच दिवसीय बैंकिंग सप्ताह लागू करना सिर्फ कर्मचारी हित का मुद्दा नहीं, बल्कि मानव-केंद्रित, आधुनिक और टिकाऊ बैंकिंग सिस्टम की दिशा में जरूरी कदम है।

इस प्रदर्शन में UFBU से जुड़े विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी और सदस्य बड़ी संख्या में मौजूद रहे। प्रमुख रूप से अनिल श्रीवास्तव, रजनीश पौराणिक, सुबीन सिन्हा, दिनेश झा, वीरू शर्मा, निर्भय सिंह, अंबरिश नंदा, सुमित कुमार, लता भारती, शिवप्रसाद अहिरवार, क्षितिज तिवारी, अरविंद पंडियार, भावना ताहिलयानी, राहुल सोमकुंवर सहित कई बैंक अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए।
नेतृत्वकर्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार और बैंक प्रबंधन ने जल्द ठोस फैसला नहीं लिया, तो UFBU आंदोलन को और व्यापक करेगा। आने वाले चरणों में धरना-प्रदर्शन, प्रेस वार्ता और अखिल भारतीय हड़ताल जैसे कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
पूरा प्रदर्शन शांतिपूर्ण, अनुशासित और लोकतांत्रिक रहा। इसने साफ कर दिया कि बैंक कर्मी अपने अधिकारों, सम्मानजनक कार्य परिस्थितियों और स्वस्थ कार्य-जीवन संतुलन के लिए पूरी तरह एकजुट हैं।
मैसेज क्लियर है कि पुरानी व्यवस्था का सम्मान रखते हुए, अब भविष्य की बैंकिंग को इंसान-केंद्रित बनाना ही अगला सही कदम है।