Shivani Gupta
30 Dec 2025
इंदौर—भागीरथपुरा में मौत इस कदर नाच रही है कि लोग अपने ही घरों के बाहर असहाय खड़े नजर आ रहे हैं। बीते पांच से छह दिनों से दूषित पानी की समस्या पूरे इलाके में फैलती रही, लेकिन न निगम जागा और न ही जनप्रतिनिधियों ने इसकी सुध ली। रहवासी बार-बार चेताते रहे, शिकायतें करते रहे, आक्रोश जताते रहे, लेकिन जिम्मेदारों के कानों तक यह आवाज नहीं पहुंची। नतीजा यह हुआ कि दूषित पानी का यह राक्षस धीरे-धीरे पूरे इलाके को अपनी चपेट में लेता चला गया और प्रशासन तब जागा जब हालात हाथ से निकल चुके थे।
सोमवार रात को हालात अचानक भयावह हो गए। काल ने एक के बाद एक छह लोगों को अपनी आगोश में ले लिया। जब तक लोग कुछ समझ पाते, तब तक शहर में हड़कंप मच चुका था। रातभर 50 से अधिक लोग उल्टी-दस्त, पेट दर्द और गंभीर कमजोरी की हालत में अस्पतालों में भर्ती होते रहे। वहीं मंगलवार को मौत ने अस्पतालों में दस्तक देना शुरू कर दी—पहले एक, फिर दो और शाम होते-होते आंकड़ा छह तक पहुंच गया। मृतकों में नंदलाल पाल (70), सीमा पति गौरीशंकर प्रजापत (50), उर्मिला यादव (70), मंजुला पति दिगंबर, उमा कोर और तारा रानी (65) शामिल हैं। आरोप है कि सोमवार रात से ही पूरा तंत्र इस त्रासदी को दबाने में जुटा रहा।
चंद दिन पहले बिछी नर्मदा पाइपलाइन, फिर भी गटर का पानी!
रहवासियों ने सीधे तौर पर नगर निगम के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। करीब 30 हजार की आबादी वाले भागीरथपुरा में सुविधाओं का हाल यह है कि गलियों में गंदगी फैली है, चेंबर जाम हैं और कचरा सड़कों पर पसरा पड़ा है। रहवासियों का सवाल है कि जिस शहर में दूषित पानी से मौत हो रही हो, उसे स्मार्ट सिटी या देश का सबसे स्वच्छ शहर कैसे कहा जा सकता है। लोगों का यह भी आरोप है कि वार्ड 11 के पार्षद कमल बाघेला से शिकायत करने पर वे दुश्मन जैसा व्यवहार करते हैं। निगम की 311 ऐप पर की गई शिकायतें भी कागजों में ही दबी रह जाती हैं।
हर घर में मरीज, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं
इलाके के लोगों का कहना है कि बीते पांच-छह दिनों से लगभग हर घर में कोई न कोई बीमार है। उल्टी-दस्त की शिकायत के बाद लोग मजबूरी में स्थानीय डॉक्टरों से इलाज कराते रहे। किसी ने जैसे-तैसे दवा ली, तो किसी ने घरेलू उपाय अपनाए। लेकिन सच्चाई यह है कि कई दिनों से नलों से गटर मिला पानी ही आ रहा था। शिकायत करने पर न निगम सुनता है और न ही नेता। रहवासियों का आरोप है कि जनप्रतिनिधि केवल वोट मांगने आते हैं, समस्याओं के समय कोई नजर नहीं आता।
लोगों का गुस्सा इस बात पर भी है कि क्षेत्र के विधायक कैलाश विजयवर्गीय महीनों से इलाके की गलियों में नजर नहीं आए। वहीं निगम कमिश्नर दिलीप यादव के हाल ही में इंदौर आने की बात कहकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा जा रहा है। रहवासियों का कहना है कि अगर अधिकारियों को अपने पद की जरा भी चिंता होती तो समय रहते कार्रवाई की जाती और आज यह मौतें नहीं होतीं। फिलहाल हालात यह हैं कि निगम अमला अब सिर्फ औपचारिकताएं निभाता नजर आ रहा है, जबकि भागीरथपुरा के लोग अब भी डर और आक्रोश के साए में जीने को मजबूर हैं।