Aakash Waghmare
13 Oct 2025
Aniruddh Singh
12 Oct 2025
Manisha Dhanwani
12 Oct 2025
Ajit Doval Russia Visit। रूस से सस्ते कच्चे तेल की खरीद पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कड़ी चेतावनियों के बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल रूस के दौरे पर पहुंचे हैं। यह यात्रा भारत की रणनीतिक संप्रभुता और स्वतंत्र विदेश नीति का बड़ा संकेत मानी जा रही है।
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को रूस से कच्चा तेल खरीदने पर कड़ी चेतावनी दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत रूसी तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से फंड कर रहा है। इसके साथ ही उन्होंने भारत पर 25% टैरिफ लगाने के बाद और ज्यादा आयात शुल्क लगाने की धमकी भी दी।
इसी बीच अजीत डोभाल की रूस यात्रा शुरू हुई है, जो पहले से ही निर्धारित थी, लेकिन अब इसका महत्व बढ़ गया है। सूत्रों के मुताबिक डोभाल इस दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य शीर्ष रणनीतिक सलाहकारों से मुलाकात करेंगे।
रूसी न्यूज एजेंसी के अनुसार, अजीत डोभाल और रूसी अधिकारियों के बीच बातचीत का मुख्य एजेंडा भारत-रूस रक्षा सहयोग, ऊर्जा आपूर्ति और क्षेत्रीय स्थिरता है। यह भी संभावना है कि भारत रूस से और अधिक तेल खरीद पर छूट और लॉन्ग-टर्म डील की बात करे।
डोभाल का यह दौरा ऐसे वक्त हो रहा है जब रूस यूक्रेन युद्ध में उलझा हुआ है और पश्चिमी देश उस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हुए हैं। ऐसे में भारत और रूस के बीच किसी भी प्रकार का ऊर्जा समझौता वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण असर डाल सकता है।
भारत और रूस के बीच चल रही S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम डील भी इस यात्रा का अहम हिस्सा है। भारत को अब तक तीन S-400 यूनिट्स मिल चुकी हैं और बाकी दो यूनिट्स की डिलीवरी रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते रुकी हुई है। माना जा रहा है कि डोभाल इस मुद्दे पर भी रूसी रक्षा अधिकारियों से बात करेंगे, ताकि डिलीवरी प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके। रक्षा क्षेत्र में भारत और रूस लंबे समय से घनिष्ठ सहयोगी रहे हैं।
डोभाल की यात्रा से पहले रूस की ओर से भारत के समर्थन में एक बयान भी आया। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि कुछ देश भारत जैसे देशों पर रूस से व्यापार खत्म करने का दबाव बना रहे हैं, लेकिन ऐसे बयान वैधानिक नहीं हैं और हम उन्हें अस्वीकार करते हैं। यह बयान अमेरिका की ओर से भारत पर बनाए जा रहे दबाव के सीधे जवाब के रूप में देखा जा रहा है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। मंत्रालय ने कहा, "भारत की ऊर्जा जरूरतें और विदेश नीति उसके राष्ट्रीय हितों से जुड़ी हैं, न कि किसी बाहरी दबाव से।" इसके साथ ही मंत्रालय ने यह भी कहा कि जब 2022 में युद्ध शुरू हुआ था, तब अमेरिका खुद चाहता था कि भारत सस्ते रूसी तेल का आयात करे ताकि वैश्विक बाजार में कीमतें स्थिर रहें।
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर लिखा कि भारत भारी मात्रा में रूसी तेल खरीदकर उसे मुनाफे में बेच रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भारत ने नीति नहीं बदली तो अगले 24 घंटों में टैरिफ कई गुना बढ़ा दिए जाएंगे।
ट्रंप की इन धमकियों के जवाब में भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी दबाव में नहीं झुकेगा और अपने रणनीतिक हितों की रक्षा करेगा।
डोभाल की यात्रा के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी इसी महीने के अंत में रूस जाएंगे। यह दर्शाता है कि भारत रूस के साथ उच्च स्तरीय संवाद बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। ऊर्जा, रक्षा और रणनीतिक साझेदारी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।