Naresh Bhagoria
6 Nov 2025
लंदन। आज के समय में विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब वो इंसान के मरने का सही समय भी बता पाने की क्षमता को विकसित करने में लगा है। लैंसेट डिजिटल हेल्थ में हाल ही में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक एआई डेथ कैलकुलेटर के जरिए इंसान की मौत के सही समय का अंदाजा लगाया जा सकता है। यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए इंसान के मौत का समय या रिस्क गिना जा सकता है। उसका अंदाजा लगाया जा सकता है। स्टडी के मुताबिक इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) भविष्य के स्वास्थ्य जोखिमों और मौत के समय का अनुमान लगाने में सहायक हो सकते हैं।
ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) से संबंधित दो अस्पताल इस कैलकुलेटर का ट्रायल जल्द शुरू करने वाले हैं। असल में इस डेथ कैलकुलेटर का पूरा नाम एआई-ईसीजी रिस्क एस्टीमेटर (एआईआरई) है। यह इंसान के हार्ट फेल होने की भविष्यवाणी करेगा, यानी उस समय की गणना करेगा, जब इंसान का दिल खून पंप नहीं करेगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि दिल जैसे ही खून को पंप करना बंद करता है, शरीर में कई तरह की दिक्कतें होने लगती हैं। इससे मौत हो जाती है। 10 में से 8 मामलों में ऐसा ही होता है।
स्टडी के मुताबिक एआई-ईसीजी रिस्क एस्टीमेटर (एआईआरई) प्लेटफॉर्म बनाने के पीछे का मकसद ये है कि पहले से जो एआई-ईसीजी अप्रोच है, उसे बदला जाए, क्योंकि पुराने तरीकों में सीमाएं बहुत थीं। जब से इस कैलकुलेटर के बारे में ब्रिटिश लोगों को पता चला है, तो सैकड़ों ने अस्पतालों में जाकर एप्लीकेशन देना शुरू कर दिया है, ताकि ट्रायल में उन्हें शामिल किया जा सके।
टेस्ट में कुछ मिनटों में यह पता चल जाएगा कि इंसान के दिल की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी कैसी है, साथ ही छिपी हुई सेहत संबंधी दिक्कतें क्या हैं, जो आसानी से किसी डॉक्टर को पता नहीं चलतीं। ट्रायल के बाद इंसान को यह पता चल जाएगा कि अगले 10 साल में उसकी मौत होगी या नहीं, वह भी 78% सटीकता के साथ। यह भी पता चलेगा कि भविष्य में कोई भयानक बीमारी तो नहीं होने वाली, जिससे मौत के चांस बढ़ते हों या मौत होती हो, जिसके बारे में अभी तक पता भी न चला हो।
पांच साल में ब्रिटेन में इस्तेमाल होने लगेगी तकनीक : अगले साल के मध्य से लंदन के दो अस्पतालों में इसका ट्रायल शुरू होगा, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसका इस्तेमाल अगले पांच साल में पूरे देश में होने लगेगा।
हेल्थ सेक्टर में एआई की भूमिका और मजबूत होगी : इस स्टडी के परिणामों ने चिकित्सकों और रिसर्चर्स को ये उम्मीद दिलाई है कि आने वाले समय में स्वास्थ्य सेवाओं में एआई की भूमिका और मजबूत होगी।