Mithilesh Yadav
17 Sep 2025
दिल्ली की एक निचली अदालत के आदेश के बाद सरकार ने तेजी दिखाते हुए अडानी से जुड़े 138 यूट्यूब वीडियो और 83 इंस्टाग्राम पोस्ट हटाने का आदेश दिया है। हालांकि अदालत ने यह साफ नहीं किया कि किन वीडियोज़ या पोस्ट से अडानी की मानहानि हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के दिन यह कदम उठाए जाने से मामला और चर्चा में है। सरकार और यूट्यूब की ओर से कई बड़े पत्रकारों और यूट्यूबर्स को नोटिस भेजा गया है। इनमें रवीश कुमार, अभिसार शर्मा, ध्रुव राठी, अजीत अंजुम, आकाश बनर्जी, द वायर और न्यूजलॉन्ड्री जैसे नाम शामिल हैं। आदेश है कि अडानी और उनकी कंपनियों से जुड़े सभी वीडियो हटाए जाएं।
जिन वीडियोज़ को हटाने का निर्देश आया है, उनमें प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा, सुचेता दलाल और सुब्रमण्यम स्वामी के इंटरव्यू शामिल हैं। इसके अलावा राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के भाषणों के अंश, सुप्रिया श्रीनेत की प्रेस कॉन्फ्रेंस और कई अखबारों की रिपोर्ट पर आधारित वीडियो भी शामिल हैं।
पत्रकारों का कहना है कि उन्हें न तो अदालत में अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया और न ही किसी मुकदमे में शामिल किया गया। सीधे आदेश आ गया कि जहां भी अडानी का नाम है, वे सारे वीडियो हटाने होंगे।
पत्रकार और सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या अब अडानी का नाम लेना भी गुनाह हो गया है? कुछ ने व्यंग्य में कहा कि अब बस अडानी और अंबानी को भगवान घोषित करना बाकी है। इस आदेश ने लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।