Manisha Dhanwani
17 Jun 2025
बीजिंग। चीन के वैज्ञानिकों ने एक नई स्टडी में चमगादड़ों की किडनी में 20 नए वायरस की खोज की है, जिनमें से दो वायरस निपाह और हेंड्रा की तरह बेहद जानलेवा और घातक हैं। ये वायरस इंसानों और जानवरों में दिमाग में सूजन और सांस की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। पीएलओएस पैथोजेन्स जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट के बाद वैज्ञानिक समुदाय में चिंता बढ़ गई है।
युन्नान इंस्टीट्यूट ऑफ एंडेमिक डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के वैज्ञानिकों ने 2017 से 2021 के बीच चमगादड़ों की 10 प्रजातियों के 142 किडनी सैंपल्स की जांच की। इस दौरान 22 वायरस की पहचान हुई, जिनमें से 20 वायरस पहले कभी नहीं देखे गए थे। इनमें से दो, ‘युन्नान बैट हेनिपावायरस-1’ और ‘हेनिपावायरस-2’, इंसानों में निपाह और हेंड्रा वायरस जैसे लक्षण पैदा करने की क्षमता रखते हैं।
स्टडी में पाया गया कि ये वायरस चमगादड़ों की किडनी में मौजूद हैं, जिससे इनके पेशाब के जरिए इंसानों में फैलने की संभावना जताई गई है। अगर चमगादड़ फल या पानी को दूषित कर देते हैं, तो वायरस इंसानों तक पहुंच सकता है। इससे गंभीर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर और सांस की बीमारियों का खतरा है।
रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों को एक नया प्रोटोजोआ पैरासाइट (क्लोसिएला युन्नानेंसिस) और एक नया बैक्टीरिया फ्लेवोबैक्टीरियम युन्नानेंसिस भी मिला है, जो पहले कभी नहीं देखा गया था। इनकी भी इंसानों में बीमारी फैलाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
फिलहाल किसी नई बीमारी या महामारी की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन वायरोलॉजिस्ट इस खोज को लेकर सतर्क हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक गंभीर चेतावनी है कि प्राकृतिक पर्यावरण में अब भी घातक वायरस छिपे हुए हैं। यह भी पहली बार है जब पेशाब के जरिए वायरस ट्रांसमिशन की आशंका सामने आई है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि मानव गतिविधियों द्वारा जंगलों का अतिक्रमण, शहरीकरण, और जलवायु परिवर्तन की वजह से इंसानों और जंगली जानवरों के बीच संपर्क बढ़ गया है। इससे वायरस का स्पिलओवर यानी एक प्रजाति से दूसरी में फैलने का खतरा भी कई गुना बढ़ गया है।
ये चमगादड़ युन्नान क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों के पास फलों के बागों में बसे हुए थे। ऐसे स्थानों पर इंसानों और जानवरों का संपर्क अक्सर होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये चमगादड़ फल या पानी को दूषित करके स्थानीय लोगों में संक्रमण फैला सकते हैं।
वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने इस वायरस के फैलाव को रोकने के लिए कुछ उपाय सुझाए हैं: