Priyanshi Soni
7 Nov 2025
सतीश उपाध्याय, भोपाल। 'पढ़ाई तो बहुत की, पर अफसोस उस हुनर का मोल न मिला, बाजार में हर चीज बिकी, बस मेरी मेहनत का फल न मिला।' इस शेर में कही गई बात हाल ही में मप्र पुलिस आरक्षक भर्ती में आवेदन कर परीक्षा देने वाले उच्च शिक्षित बेरोजगार युवाओं पर सटीक बैठती है। जब उन्हें अपने काबिलियत के मुताबिक नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने पुलिस आरक्षक बनना ही ठीक समझा। हाल में पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में बड़ी संख्या में पीएचडी होल्डर, पीजी की पढ़ाई कर चुके युवाओं ने भी किस्मत आजमाई है। पुलिस आरक्षक के लिए 7500 पदों की भर्ती निकाली गई, जिसमें 9,79,190 आवेदन भरे गए यानी हर पद पर औसतन 130 आवेदन आए हैं। आरक्षक भर्ती में 43 पीएचडी होल्डर परीक्षा दे चुके हैं। वहीं, अब सूबेदार, एसआई, एसआईएसएएफ, एएसआईएम स्टेनोग्राफर की भर्ती के लिए अब तक 13 पीएचडी होल्डरों के आवेदन आ चुके हैं। इसमें यूजी के बाद पीजी के सबसे ज्यादा आवेदन हैं।
मध्य प्रदेश सरकार ने इस साल पुलिस आरक्षक के 7500 पदों लिए भर्ती निकाली थी। इसमें आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम आयु 33 वर्ष निर्धारित की गई है। आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को अधिकतम आयु सीमा में छूट दी जाएगी। उम्मीदवारों की आयु की गणना 29 सितंबर 2025 को आधार मानकर की गई है। इन पदों के लिए 30 अक्टूबर को मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (ईएसपी) द्वारा परीक्षा आयोजित की गई। इससे पहले 7,500 पदों के लिए 9 लाख 79 हजार 190 आवेदन प्राप्त हुए थे।
नाम न छापने की शर्त पर एक आवेदक ने बताया कि हम मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं। माता-पिता ने हम भाई-बहनों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मैंने भी पूरी मेहनत के साथ स्कूल, कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक अच्छी सरकारी अथवा प्राइवेट नौकरी पाने के लिए पीजी के बाद पीएचडी की उपाधि ली। लेकिन काफी प्रयास के बाद भी मनमाफिक जॉब नहीं मिल सका। कब तक बेरोजगार रहता, इसलिए पुलिस आरक्षक भर्ती के लिए आवेदन कर दिया।
एक और आवेदक ने बताया कि मुझे शुरुआत से ही पढ़ना और पढ़ाना अच्छा लगता था, स्कूल टाइम में भी खुद पढ़ाई करने के साथ बच्चों को भी पढ़ाया करता था। मैंने सोच रखा था कि कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद पीएचडी कर किसी कॉलेज में बच्चों को पढ़ाऊंगा। पीएचडी कर ली, पर किसी अच्छे कॉलेज में मौका नहीं मिला, सरकारी नौकरी में भी किस्मत आजमाई, लेकिन बच्चों को पढ़ाने का सपना पूरा नहीं होना था, कोई बात नहीं, शिक्षक न सही, पुलिस वाला बनकर बेहतर समाज बनाने और लोगों की सुरक्षा में अपना योगदान दूंगा।