Aniruddh Singh
7 Oct 2025
वाशिंगटन डीसी। विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.3% से बढ़ाकर 6.5% कर दिया है। वैश्विक वित्तीय निकाय का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग, ग्रामीण पुनरुद्धार और कर सुधारों के प्रभाव से मजबूती से आगे बढ़ रही है। विश्व बैंक की साउथ एशिया डेवलपमेंट अपडेट रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा, क्योंकि उपभोग की वृद्धि लगातार मजबूत बनी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, कृषि उत्पादन और ग्रामीण मजदूरी में सुधार ने घरेलू स्थितियों को बेहतर बनाया है। वहीं, सरकार द्वारा टैक्स स्लैब्स की संख्या घटाना और अनुपालन को आसान बनाने जैसे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कर सुधार, आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करेंगे।
वित्तवर्ष 2025-26 के पहली छमाही में भारत का प्रदर्शन अपेक्षा से बेहतर रहा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (Q1FY26) में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.8% रही, जो पिछले पांच तिमाहियों में सबसे तेज रही। निवेश में मजबूती जारी है, जिसे सार्वजनिक ढ़ांचा परियोजनाओं, ऋण वृद्धि और ढीली मौद्रिक नीति का समर्थन मिल रहा है। ग्रामीण आय और मजदूरी में बढ़ोतरी ने शहरी खपत की सुस्ती की भरपाई की है। यद्यपि कार बिक्री और पर्सनल क्रेडिट में कुछ गिरावट दिखी है, फिर भी औद्योगिक उत्पादन और आयात में स्थिर रफ्तार बनी हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी दूसरी तिमाही (Q2FY26) के लिए लगभग 7% वृद्धि का अनुमान जताया है।
हालांकि, विश्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष (FY27) के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.3% कर दिया है। इसका मुख्य कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए नए आयात शुल्क (tariffs) हैं, जो भारतीय निर्यात पर दबाव डाल सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत को पहले उम्मीद थी कि उसे प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में कम अमेरिकी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा, लेकिन अगस्त के अंत तक स्थिति उलट गई और अब भारत पर अपेक्षाकृत अधिक टैरिफ लग रहे हैं। वर्ष 2024 में भारत के कुल निर्यात का लगभग 20% हिस्सा अमेरिका को गया था, जो भारत की जीडीपी का करीब 2% है। इससे संकेत मिलता है कि अमेरिकी टैरिफ नीतियों में बदलाव का भारत की व्यापारिक गतिविधियों पर महत्वपूर्ण असर पड़ सकता है।
रिपोर्ट का निष्कर्ष यह है कि घरेलू मांग, कर सुधारों और सरकारी नीतिगत समर्थन के चलते भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक झटकों से उबरने में सक्षम है। जीएसटी दरों में कटौती और आयकर राहत से उपभोक्ता खर्च को बल मिलेगा, जिससे त्योहारों के मौसम में खपत आधारित क्षेत्रों में मजबूती आएगी। यह वृद्धि भारतीय रिजर्व बैंक, एसएंडपी ग्लोबल और ओईसीडी जैसी एजेंसियों के हालिया आशावादी अनुमानों से भी मेल खाती है, जिन्होंने भारत की आर्थिक क्षमता पर भरोसा जताया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी हाल ही में अपनी वृद्धि दर का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.8% किया है, जो इस तथ्य की पुष्टि करता है कि घरेलू निवेश, उपभोग और नीति स्थिरता भारत की वृद्धि को आगे बढ़ा रहे हैं।