Mithilesh Yadav
4 Nov 2025
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4 Nov 2025
Aakash Waghmare
4 Nov 2025
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4 Nov 2025
इंदौर। देश में सोयाबीन की उत्पादकता में आ रही स्थिरता को दूर करने के लिए केंद्र सरकार अब ‘जीनोम एडिटिंग’ तकनीक का सहारा लेगी। यह जानकारी केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को इंदौर स्थित ICAR – राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान दी। उन्होंने खुद ट्रैक्टर चलाकर सोयाबीन की बुआई की और नई तकनीकों का अवलोकन किया।
कृषि मंत्री ने कहा- हम ब्राजील जैसे देशों की तरह जीएम बीज (Genetically Modified Seeds) का उपयोग नहीं करते, लेकिन हम जीनोम एडिटिंग जैसी वैज्ञानिक विधियों से अधिक उपज देने वाली किस्मों का विकास करेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह तकनीक डीएनए अनुक्रमों में बदलाव कर पौधों में वांछित गुण लाती है, जिससे न केवल उपज बढ़ेगी, बल्कि प्रोटीन गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि देश में सोयाबीन की औसत उत्पादकता स्थिर हो चुकी है जबकि ब्राजील जैसे देशों में यह कहीं अधिक है। उन्होंने दो मुख्य लक्ष्य गिनाए- पहला उत्पादकता को बढ़ाना और दूसरा खेती की लागत को कम करना। इसके लिए किसानों की जरूरतों के अनुसार नई अनुसंधान परियोजनाएं तैयार की जाएंगी और खेती की तकनीकों में सुधार किया जाएगा।
चौहान ने कहा कि सोयाबीन प्रोटीन का बड़ा स्रोत है और इसके गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के निर्माण पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा- हम सोया खली के निर्यात को भी बढ़ावा देंगे, ताकि किसान को वैश्विक बाजार का लाभ मिल सके।
जब कृषि मंत्री से पाम तेल के बड़े पैमाने पर आयात और इसके कारण सोयाबीन के कम दाम मिलने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा- सरकार अपनी आयात-निर्यात नीति के माध्यम से किसानों और उपभोक्ताओं, दोनों के हितों का संतुलन बना रही है। उन्होंने यह भी माना कि देश को अपनी जरूरतों के लिए खाद्य तेल का 60% से अधिक आयात करना पड़ता है, लेकिन घरेलू किसान को नुकसान न हो, इस दिशा में सरकार सजग है।
चौहान ने किसानों को आश्वासन दिया कि सोयाबीन की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी सुनिश्चित की जाएगी। सरकार ने खरीफ विपणन सत्र 2025-26 के लिए सोयाबीन का एमएसपी 5,328 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 436 रुपए प्रति क्विंटल ज्यादा है।
इस मौके पर शिवराज सिंह चौहान ने ICAR-राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने वहां मौजूद वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और किसानों से संवाद किया और नई बुआई तकनीकों का निरीक्षण भी किया। उन्होंने खुद ट्रैक्टर चलाकर बुआई की और इसे खेती की लागत कम करने का कारगर उपाय बताया।