Mithilesh Yadav
17 Oct 2025
Manisha Dhanwani
17 Oct 2025
Aakash Waghmare
17 Oct 2025
Priyanshi Soni
16 Oct 2025
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ट्रांसजेंडर महिला शिक्षक के मामले में सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने महिला शिक्षक को मुआवजा देने का आदेश दिया है। दरअसल ट्रांसजेंडर महिला शिक्षक उत्तर प्रदेश और गुजरात के दो निजी स्कूलों में नौकरी कर रही थी। लेकिन, उसकी लैंगिक पहचान के चलते दोनों स्कूलों ने उसे नौकरी से निकाल दिया था। मामले की सुनवाई जस्टिस जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही थी।
न्यायाधीश जेबी पारदीवाला की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि यह फैसला ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण कदम होगा। कोर्ट ने ट्रांसजेंडर और किसी भी लैंगिक पहचान के दायरे में न आने वाले लोगों के लिए रोजगार में समान अवसर की बात कही है। इसके साथ कोर्ट ने रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे मुद्दों की जांच के लिए दिल्ली हाई कोर्ट की पूर्व जज आशा मेनन की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने के निर्देश भी दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने जेन कौशिक बनाम भारत सरकार मामले में सरकार की तरफ से नीति बनाए जाने तक ट्रांसजेंडरों के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कौशिक के साथ हुए व्यवहार और नौकरी से निकाले जाने पर मुआवजे देने का आदेश दिया है।
वहीं कोर्ट द्वारा गठित समिति में ट्रांस राइट्स एक्टिविस्ट्स और विशेषज्ञ शामिल हैं। जो समान अवसर नीति, 2019 के ट्रांसजेंडर एक्ट और 2020 नियमों के अध्ययन, उचित व्यवस्था, शिकायत निवारण, जेंडर, नाम बदलने और चिकित्सा जैसे मुद्दों पर काम करेगी। कमेटी में सामाजिक न्याय, महिला और बाल विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रालयों के सचिव भी शामिल रहेंगे। जिसके बाद यह फैसला ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।