Manisha Dhanwani
5 Nov 2025
सीधी। जिले के ग्राम खड्डी खुर्द की रहने वाली और सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता के लिए जानी जाने वाली लीला साहू एक बार फिर चर्चा में हैं। गर्भावस्था के नौवें महीने में लीला ने सीधी के सांसद डॉ. राजेश मिश्रा से हेलिकॉप्टर भेजने की मांग की है। उनका कहना है कि गांव में अब भी सड़क नहीं बनी है, एम्बुलेंस नहीं पहुंच सकती, इसलिए सांसद को अपने पुराने वादे को निभाते हुए उन्हें एयरलिफ्ट कराना चाहिए।
लीला साहू ने पहले भी सोशल मीडिया पर नेताओं से सवाल किया था कि जब उन्होंने 29 सीटों पर जीत दिलाने में मदद की, तो उनके गांव की सड़क अब तक क्यों नहीं बनी? इस मुद्दे को लेकर उनका वीडियो वायरल हुआ था। अब जब वह गर्भावस्था के अंतिम चरण में हैं, तो उन्होंने फिर से वीडियो पोस्ट कर कहा, “आपने वादा किया था कि जरूरत पड़ी तो हेलिकॉप्टर भेजेंगे। अब वह जरूरत आ गई है।”
गांव खड्डी खुर्द की हालत ऐसी है कि अब तक पक्की सड़क नहीं बन पाई है। कीचड़ और गड्ढों से भरी सड़क बारिश के समय जानलेवा हो जाती है। लीला ने बताया कि पिछले वर्ष सड़क नहीं होने के कारण दो महिलाओं की मौत हो चुकी है। इनमें एक उनकी भाभी ममता थीं, जबकि दूसरी महिला सीमा थीं। दोनों को समय पर अस्पताल नहीं ले जाया जा सका।
लीला साहू ने जुलाई 2024 में खड्डी खुर्द के बगैया टोला से गजरी को जोड़ने वाली 10 किमी लंबी कच्ची सड़क की हालत को उजागर करते हुए सोशल मीडिया पर पहला वीडियो डाला था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, मुख्यमंत्री मोहन यादव, लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह और सांसद राजेश मिश्रा को टैग करते हुए सड़क की मांग की थी।
वीडियो वायरल होने के बाद तत्कालीन कलेक्टर ने सड़क निर्माण का आश्वासन दिया था। लेकिन एक साल बीतने के बावजूद सड़क का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है। विधायक प्रतिनिधि ज्ञानेंद्र अग्निहोत्री ने भी माना कि एक गर्भवती महिला को सड़क के लिए गुहार लगानी पड़े, यह प्रशासन के लिए शर्मनाक है।
लीला ने गर्भावस्था के बावजूद कहा था कि डिलीवरी के बाद वह दिल्ली जाकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात करेंगी और गांव की सड़क के लिए आंदोलन करेंगी। हालांकि, उनकी इस घोषणा को कुछ लोगों ने राजनीतिक महत्वाकांक्षा से जोड़ने की कोशिश की, लेकिन लीला ने स्पष्ट किया कि उनकी मंशा केवल गांव की भलाई है। उन्होंने कहा, “यह लड़ाई केवल मेरी नहीं, पूरे गांव की है। हमारी मांग सिर्फ 10 किलोमीटर की एक पक्की सड़क की है, जो हमारे लिए जीवन रेखा बन सकती है।”