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शरण पूर्णिमा का त्योहार हर साल आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं में दक्ष रहता है और उसकी किरणों से अमृत वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर रखी जाती है, जिसे अगले दिन सुबह खाया जाता है। इस खीर को अमृत तुल्य माना जाता है।
मान्यता है कि चंद्रमा की रोशनी में रखी हुई खीर खाने से इंसान का भाग्य मजबूत होता है और जीवन में सफलता, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य मिलता है। शरण पूर्णिमा की रात में खीर रखने और उसका सेवन करने से बीमारियों से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
इस साल की शरण पूर्णिमा खास इसलिए भी है क्योंकि यह उन्नति मुहूर्त और वृद्धि योग के साथ आ रही है। यह शुभ मुहूर्त चौघड़िया मुहूर्त के अंदर आता है और भाद्रपद नक्षत्र का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है। ऐसे शुभ संयोग सालों बाद बनते हैं, जिससे इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है।
इस मुहूर्त में खीर का सेवन करने से व्यक्ति का भाग्य मजबूत होता है, घर में सुख-शांति बनी रहती है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है। इस दिन चांदनी में रखी खीर खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है और यह शुभ और ऐतिहासिक त्योहार अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है।