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नवरात्रि की अष्टमी और नवमी का सबसे खास महत्व कन्या पूजन या कन्या भोज से जुड़ा है। मान्यता है कि अगर कन्या पूजन न किया जाए तो नवरात्रि की पूजा अधूरी रहती है।
हिंदू शास्त्रों में कन्याओं को मां दुर्गा का रूप माना गया है। श्रद्धालु कन्याओं को घर बुलाकर उनके पैर धोते हैं, तिलक लगाते हैं और उन्हें भोजन कराकर आशीर्वाद लेते हैं। ऐसा करने से भक्तों को नवरात्रि व्रत का संपूर्ण फल मिलता है।
मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से कन्या पूजन करते हैं, उन पर मां दुर्गा की विशेष कृपा बनी रहती है। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
कन्या पूजन के लिए कोई तय समय नहीं होता। माता की पूजा और हवन के बाद किसी भी समय कन्याओं को भोजन कराया जा सकता है। इसी वजह से हर साल भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ कन्या भोज करते हैं।