Mithilesh Yadav
30 Oct 2025
दिल्ली। हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें स्कूल शिक्षकों को प्राइवेट ट्यूशन देने से रोकने वाले कानून को चुनौती दी गई है। अदालत ने इस याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है। यह याचिका रिटायर्ड केमिस्ट्री टीचर प्रेम प्रकाश धवन ने दायर की है। उनका कहना है कि शिक्षकों पर लगा यह प्रतिबंध उनके पेशा चुनने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।
दिल्ली हाईकोर्ट में एक अहम याचिका दायर की गई है। इसमें स्कूल शिक्षकों को प्राइवेट ट्यूशन देने से रोकने वाले कानून को चुनौती दी गई है। यह याचिका रिटायर्ड केमिस्ट्री टीचर प्रेम प्रकाश धवन ने दायर की है। उन्होंने अदालत में कहा कि यह रोक शिक्षकों के पेशे और उनकी कमाई के अधिकार का उल्लंघन करती है।
प्रेम प्रकाश धवन का कहना है कि शिक्षक अपने ज्ञान और अनुभव का इस्तेमाल करके प्राइवेट ट्यूशन दे सकते हैं। कई शिक्षक यह इसलिए करते हैं ताकि वे अपने परिवार की आर्थिक मदद कर सकें। उनका कहना है कि इससे स्कूल की पढ़ाई या उनके पेशे पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता।
याचिकाकर्ता ने बाल शिक्षा का नि:शुल्क और अनिवार्य अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act) की धारा 28 को चुनौती दी है। इस धारा के तहत शिक्षकों को प्राइवेट ट्यूशन या निजी पढ़ाई करने से रोका गया है।
इसके अलावा, उन्होंने दिल्ली स्कूल शिक्षा नियम, 1973 की धारा 113 और शिक्षक आचार संहिता को भी चुनौती दी है। ये नियम शिक्षकों को स्कूल के अलावा कोई और काम करने से रोकते हैं।
सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि अब जब वे रिटायर हो चुके हैं, तो यह मामला क्यों उठाया।
साथ ही अदालत ने कहा कि जब वे सेवा में थे तब यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया। कोर्ट ने कहा कि याचिका में सार्वजनिक हित साबित करना जरूरी होगा और सुझाव दिया कि कोई सक्रिय शिक्षक उदाहरण के तौर पर पेश किया जाए।
केंद्र सरकार ने अदालत में कहा कि यह रोक इसलिए है ताकि शिक्षक ईमानदारी से पढ़ाई कर सकें और किसी भी हितों के टकराव से बचें। सरकार ने इस पर विस्तृत जवाब देने के लिए समय मांगा।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह रोक असंवैधानिक है और सच तो यह है कि कई शिक्षक प्राइवेट ट्यूशन देने के बावजूद उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
यह मामला शिक्षकों और शिक्षा नीति पर नई बहस को जन्म दे रहा है। सवाल यह है कि क्या शिक्षकों को अतिरिक्त आय के लिए काम करने से रोका जा सकता है, या यह उनके अधिकारों का उल्लंघन है।
इस मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी। इस दौरान अदालत की टिप्पणियाँ और केंद्र सरकार का जवाब अहम भूमिका निभा सकते हैं।