इंदौर - शहर की छवि को धूमिल करने वाली घटना जिसमें अस्पताल के अंदर नवजात शिशुओ को बच्चों द्वारा काटा गया जिसके बाद उनकी मौत हो गई। घटना में एमवायएच के एनआइसीयू के वीडियो भी सामने आए जिसमें चूहे अस्पताल के नद्र उछल कूद करते दिखाई दे रहे हैं। लेकिन इस मामले में इंदौर हाई कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए सोमवार को सुनवाई हुई। शासन ने याचिका में जवाब प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि नवजातों की मौत चूहों के काटने से नहीं हुई थी। नवजातों के कई अंग अविकसित थे। इस जवाब के बाद तो यह कहना सही होगा कि अपनी गलती को मनाने से उसे पहले दबाना अस्पताल प्रबंधन को आता हैं।
प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल एमवाय महाराजा यशवंतराव अस्पताल के NICU और PICU यूनिट्स में दो नवजात शिशुओं को चूहों द्वारा कुतरने और उनकी मौत का मामला अब हाईकोर्ट की चौखट तक पहुंच चुका है। सोमवार को हुई सुनवाई में सरकार ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश की, जिसमें कहा गया कि दोनों नवजातों की मौत चूहों के काटने से नहीं बल्कि अन्य चिकित्सीय कारणों से हुई।लेकिन सवाल यह उठता है कि जब अस्पताल की लापरवाही के चलते नवजातों के शवों पर स्पष्ट रूप से चूहों के काटने के निशान मिले, तो क्या यह मान लेना आसान है कि मौत का कारण केवल बीमारियां थीं? यही कारण है कि यह पूरा मामला सिर्फ एक हादसा नहीं बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था की गहरी खामियों को खुलासा करने वाला बन गया है। अदालत में पेश की गई सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, पहली घटना 30 अगस्त की सुबह करीब 4 बजे हुई, जबकि दूसरी घटना 31 अगस्त की रात 10:30 बजे सामने आई। दोनों ही बार NICU में रखे नवजातों के हाथ-पैर चूहों ने कुतर दिए।पहली घटना में नवजात को गंभीर चोटें आईं और डॉक्टरों ने तुरंत इलाज की कोशिश की, लेकिन उसकी हालत बिगड़ती चली गई। दूसरी घटना में भी यही हुआ। परिजनों को जब शव सौंपा गया और उन्होंने बॉक्स खोला, तो बच्चे की चार उंगलियां गायब थीं।
रिपोर्ट मे मौत का कारण चूहा से काटना नहीं
करीब 700 पेज के जवाब में शासन ने पूरे मामले की जानकारी देते हुए अब तक की गई कार्रवाई के बारे में भी बताया और जानकारी दी कि बहुत जल्द एमवायएच के एनआइसीयू को सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा। ताकि वर्तमान एनआइसीयू और आसपास के क्षेत्र में कीट नियंत्रण की कार्रवाई की जा सके। सोमवार को हाईकोर्ट में पेश की गई सरकारी रिपोर्ट में कहा गया कि नवजातों की मौत का कारण चूहों का हमला नहीं था। धार के दंपती की बच्ची की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया कि उसके कई अंग पूरी तरह विकसित नहीं थे। इसके अलावा उसे अन्य बीमारियां भी थीं, जिससे उसका जीवित रहना मुश्किल था।रिपोर्ट में साफ किया गया कि रेट बाइट यानी चूहे के काटने को मौत का कारण नहीं माना जा सकता। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि घटना को लेकर समय पर उच्च अधिकारियों को सूचित नहीं किया गया। जिन कर्मचारियों की ड्यूटी के दौरान ये घटनाएं हुईं, उनकी जिम्मेदारी भी तय की गई है। इसके अलावा, पेस्ट कंट्रोल एजाइल कंपनी, जिसे अस्पताल परिसर में कीट और चूहा नियंत्रण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, को ब्लैक लिस्ट करने का नोटिस जारी किया गया है। कोर्ट ने भी इस कंपनी पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है, क्योंकि लापरवाही का सबसे बड़ा कारण यही माना गया। हाई कोर्ट ने दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है