
राजस्थान। भीलवाड़ा जिले में संतान प्राप्ति के बाद दंपती द्वारा 118 किमी की पैदल यात्रा चर्चा का विषय बना हुआ है। 12 साल बाद संतान प्राप्ति की मन्नत पूरी होने पर एक दंपती अपने नवजात को ट्रॉली बैग में लिटाकर माता के दरबार की ओर पैदल चल पड़े। 118 किलोमीटर की यह यात्रा युवा दंपती के लिए बहुत मुश्किल नहीं है, लेकिन उन्होंने बच्चे की सुरक्षा और सुविधा का ध्यान रखते हुए खास इंतजाम किया है।
ट्रॉली बैग में बच्ची को लिटाकर शुरू की पदयात्रा
दंपती राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के बागोर इलाके के एक गांव के निवासी हैं। वे बागोर से करीब 75 किलोमीटर दूर स्थित जोगणिया माता मंदिर के दर्शन के लिए निकले हैं। रविवार को भीलवाड़ा की सड़कों पर नवजात बच्ची को ट्रॉली बैग में ले जाते देख अन्य पदयात्री भी आश्चर्यचकित हो गए। मन्नत पूरी होने पर ट्रॉली बैग में बच्ची को सुरक्षित लिटाकर यह दंपती नंगे पैर दर्शन के लिए निकल पड़ा।
लंगर में किया भोजन
रविवार को भीलवाड़ा के सदर थाना के पास लगे एक अस्थाई लंगर में कुछ देर रुककर उन्होंने लंगर का प्रसाद ग्रहण किया। लंगर के आयोजक लखन सोनी ने इस दौरान ट्रॉली बैग में लेटे हुए बच्ची का वीडियो बनाया। उन्होंने बताया कि वह पिछले 10 सालों से नवरात्र में भंडारा आयोजित करते आ रहे हैं, लेकिन पहली बार उन्होंने देखा कि एक दंपती अपने बच्चे को ट्रॉली बैग में लिटाकर माता के दर्शन के लिए पदयात्रा कर रहा है।
मन्नत पूरी होने पर नंगे पैर पदयात्रा का था वादा
दंपती ने बताया कि उन्होंने माता से संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगी थी और संतान होने पर नंगे पैर आकर माता के दरबार में बच्चे को आशीर्वाद दिलाने का संकल्प किया था। 12 साल बाद मन्नत पूरी होने के बाद वे बिना चप्पल-जूते पहने ही माता के दरबार जा रहे हैं। हालांकि ट्रॉली बैग में बच्चे को लेकर ट्रैफिक के बीच यात्रा करना जोखिम भरा है। रात में ट्रैफिक अधिक रहता है और कहीं-कहीं लाइट भी नहीं होती है। लेकिन दंपती खुश है और पदयात्रा को लेकर उत्साहित भी है। नवरात्र में पहली बार ये बच्चे को लेकर माता के दर्शन के लिए जा रहे हैं। सोमवार शाम तक वे जोगणिया माता मंदिर पहुंच जाएंगे।
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