Aniruddh Singh
11 Oct 2025
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अमेरिकी चिप निर्माता कंपनी क्वालकॉम के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) क्रिस्टियानो अमोन से मुलाकात की। इस मुलाकात में भारत के सेमीकंडक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मिशनों में क्वालकॉम के सहयोग की सराहना की गई। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने संदेश में लिखा, भारत के सेमीकंडक्टर और एआई मिशनों के प्रति क्वालकॉम की प्रतिबद्धता देखकर प्रसन्नता हुई। यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में अमेरिका, चीन और भारत के बीच प्रतिस्पर्धा तेजी से बढ़ रही है। क्वालकॉम दुनिया की अग्रणी सेमीकंडक्टर और वायरलेस टेक्नोलॉजी कंपनियों में से एक है, जो मोबाइल प्रोसेसर, एआई चिप और 5जी नेटवर्क के लिए विशेष समाधान तैयार करती है।
कंपनी ने भारत में पिछले कुछ सालों में अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) केंद्रों का विस्तार किया है और स्टार्टअप्स को तकनीकी सहायता देने में भी सक्रिय भूमिका निभाई है। मोदी सरकार के सेमीकंडक्टर मिशन के तहत भारत देश में चिप निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने की दिशा में अग्रसर है, ताकि चीन और ताइवान जैसी अर्थव्यवस्थाओं पर निर्भरता कम की जा सके। क्वालकॉम का निवेश और तकनीकी सहयोग इस मिशन को मजबूत आधार प्रदान कर सकता है। इस बैठक का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ठीक एक दिन पहले चीन ने क्वालकॉम के खिलाफ एंटी-ट्रस्ट जांच शुरू की है।
चीन के बाजार नियामक स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन फॉर मार्केट रेगुलेशन (एसएएमआर) ने आरोप लगाया है कि क्वालकॉम ने इजराइली चिपमेकर कंपनी ऑटोटॉक्स के अधिग्रहण के दौरान कुछ कानूनी जानकारियां नियामक अधिकारियों को समय पर नहीं दीं। चीन इस अधिग्रहण की जांच कर रहा है ताकि यह तय किया जा सके कि कहीं कंपनी ने प्रतिस्पर्धा-रोधी कानूनों का उल्लंघन तो नहीं किया। इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि तकनीकी क्षेत्र अब केवल नवाचार का नहीं, बल्कि रणनीतिक शक्ति-संतुलन का भी एक अहम मुद्दा बन गया है।
अमेरिका और चीन के बीच सेमीकंडक्टर नियंत्रण को लेकर चल रही प्रतिस्पर्धा में भारत एक नए साझेदार के रूप में उभर रहा है। भारत सरकार का उद्देश्य इस क्षेत्र में विदेशी निवेश को आकर्षित करते हुए घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना है, ताकि देश भविष्य की डिजिटल अर्थव्यवस्था में आत्मनिर्भर बन सके। क्वालकॉम की रुचि भारत के साथ दीर्घकालिक साझेदारी में दिख रही है। कंपनी पहले ही हैदराबाद और बेंगलुरु में अपने अनुसंधान केंद्रों के माध्यम से भारतीय इंजीनियरिंग प्रतिभा का लाभ उठा रही है। मोदी सरकार चाहती है कि ऐसे तकनीकी निवेश भारत में नवाचार, कौशल विकास और रोजगार सृजन को नई गति दें।