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27 Oct 2025
Shivani Gupta
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Priyanshi Soni
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Mithilesh Yadav
27 Oct 2025
Priyanshi Soni
27 Oct 2025
अशौक गौतम
भोपाल। प्रदेश की जनता को बिजली संकट से बचाने के लिए सरकार प्रदेश में दो नए थर्मल पॉवर प्लांट लगाने की तैयारी कर रही है। एक पॉवर प्लांट अमरकंटक के चचाई और दूसरा बैतूल के सारणी में लगाया जाएगा। दोनों पॉवर प्लांट 660-660 मेगावॉट के होंगे। दोनों प्लांट लगाने में सरकार 2400 करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च करेगी। इस प्रस्ताव को ऊर्जा विभाग द्वारा अगली कैबिनेट में रखा जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस पर काम शुरू होगा। प्रदेश में जिस तरह से बिजली की डिमांड बढ़ रही है, उससे ऊर्जा विभाग का मानना है कि वर्ष 2035 तक बिजली डिमांड 40 हजार मेगावॉट हो जाएगी। वर्तमान में 10 हजार से 18 हजार मेगावॉट प्रतिदिन डिमांड है। इसकी आपूर्ति वर्तमान थर्मल संयंत्रों से होना मुश्किल है।
सौर पॉवर प्लांट से सिर्फ लोगों को दिन में बिजली की उपलब्धता होती है। थर्मल पॉवर प्लांट से रात और दिन में पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराई जा सकेगी। उद्योगों कॉर्पोरेट कार्यालयों के लिए थर्मल पॉवर से पर्याप्त मात्र में बिजली उपलब्ध कराई जा सकेगी। मध्य प्रदेश में कोयले का भंडार है, इससे कोयले की कमी भी नहीं होगी और पॉवर प्लांटों के लिए सस्ता कोयला भी मिल सकगा।
बिजली संकट से बाहर आने के लिए सरकार दो नए संयंत्र लगाने की तैयारी कर रही है। यह संयंत्र पूरी तरह से अत्याधुनिक होंगे। इसमें कम लागत, कम कोयले में पहले के संयंत्रों से ज्यादा बिजली तैयार होगी। इसके चलते सरकार चचाई और सारणी में संयंत्र लगा रही है। यहां वर्तमान में थर्मल पॉवर प्लांट हैं, लेकिन ये बहुत पुराने होने से दम तोड़ने लगे हैं। इसके अलावा इनके तकनीक और उपकरणों में बहुत सारे बदलाव आ चुके हैं।
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पहले इन दोनों जगह थर्मल पॉवर प्लांट लगाने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड से अनुबंध किया था। इसकी मुख्य वजह यह थी कि कोल इंडिया के पास पर्याप्त और गुणवत्तायुक्त कोयला रहता है, जरूरत पर संयंत्रों को उपलब्ध होता रहेगा। कोल इंडिया इसमें अपना पूरा मैनेजमेंट सहित अन्य कमांड ज्यादा करने लगा था। इसके चलते सरकार ने इस अनुबंध को तोड़ते हुए खुद संयंत्र लगाने का निर्णय लिया है।
-पहली इकाई 1977 में स्थापित।
-यूनिट की क्षमता 450 मेगावाट है।
-कोयले की रोजाना खपत 4,000 टन।
-पहली इकाई 1983 में स्थापित।
-1340 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता।
-कोयले की रोजाना खपत 18000 टन।
-पहली यूनिट की स्थाापना1967।
-1330 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता।
-कोयले की रोजाना खपत 20,500 टन।
-पहली इकाई की स्थापना 2014 में हुई।
-2520 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता।
-कोयले की रोजाना खपत 35000 टन।
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कुछ नए थर्मल पॉवर प्लांट लगाने पर सरकार विचार कर रही है। भविष्य में बिजली की मांग को देखते हुए फिलहाल 2 थर्मल पॉवर लगाने के लिए सरकार जल्द ही फैसला लगी। इन संयंत्रों को तैयार होने में भी काफी समय लगेगा।
नीरज मंडलोई, अपर मुख्य सचिव, ऊर्जा विभाग