Manisha Dhanwani
28 Oct 2025
राकेश भारती
ग्वालियर। अपना घर आश्रम के 44 वर्षीय सहदेव प्रभुजी को सालों बाद अपना परिवार मिल गया। मानसिक रूप से कमजोर रायपुर निवासी सहदेव परिवार से बिछुड़ गए थे। करीब 8 साल पहले एक सूचना पर अपना घर प्रबंधन ने उन्हें राजस्थान से रेस्क्यू किया था। हाल ही में, आधार कार्ड बनाने के दौरान उनके परिवार का पता चला। आधार की वजह से सहदेव जैसे करीब 10 लोगों की बीते चार माह में घर वापसी हो सकी है। यह संभव हो सका है ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान की पहल से। अब शासन इस पहल को पूरे प्रदेश में अपनाने जा रहा है। दरअसल, अप्रैल 2025 में कलेक्टर के निर्देश पर डबरा एसडीएम दिव्यांशु चौधरी ने अपना घर में रहने वाले 89 लोगों को पहचान दिलाने का प्रयास शुरू किया था। उन्होंने सभी के निवास प्रमाण पत्र बनाने के निर्देश दिए। आधार बनाने के दौरान 4 माह में 10 लोगों के परिवार का पता चल गया।
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आश्रम से घर भेजे जाने वाले 10 लोगों में 6 मूक बधिर थे और केवल 3 ही बोल पाते थे। आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया के दौरान इन्हें चेहरे के फोटो, फिंगरप्रिंट, आंखों के स्कैन होने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा, तो 10 लोगों की पहचान मिल गई। इसके बाद संबंधित पुलिस थाने के माध्यम से परिवारों से संपर्क किया गया और अंततः उन्हें परिवारों से मिलाया जा सका।
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ग्वालियर की कलेक्टर रुचिका चौहान ने कहा कि ग्वालियर में विक्षिप्त और लावारिस लोगों को आधार कार्ड के माध्यम से परिवार मिलाने की मुहिम शुरू की गई है। इसके सार्थक परिणाम आए हैं। शासन ने अब इस नवाचार को प्रदेश भर में अपनाने के लिए निर्देशित किया है। उम्मीद है इस तरह तमाम परिवारों से बिछड़े लोगों को एक बार फिर मिलाया जा सकेगा। अब तक किए गए प्रयासों के बहुत अच्छे नतीजे सामने आए हैं।