Mithilesh Yadav
10 Sep 2025
अशोक गौतम
भोपाल। प्रदेश में वर्षों से चल रही एकल नल-जल योजना का रख-रखाव अब पीएचई विभाग संभालेगा। अभी इनके संचालन और मेंटेनेंस पंचायतों के पास है। पंचायतों के पास फंड नहीं होने से ये योजनाएं कभी चलती हैं और कभी बंद हो जाती हैं। इससे न तो ग्रामीणों को रोजाना पानी मिलता है और न ही ग्रामीण परिवारों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने का सरकार का उद्देश्य पूरा हो रहा है। प्रदेश में करीब 29 हजार के आसपास एकल नल जल परियोजना संचालित और निर्माणाधीन हैं, जिनको लेकर समस्या बनी हुई है। सरकार अब इनके रख-रखाव की जिम्मेदारी पीएचई को सौंपने की तैयारी कर रही है। इसके लिए पीएचई को सालाना एक हजार करोड़ रुपए का बजट दिया जाएगा। इस प्रस्ताव को अगली कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा।
-पीएचई के पास पर्याप्त इंजीनियर और अन्य तकनीकी स्टाफ है।
-पंचायतों में संविदा इंजीनियरों और कर्मचारियों के माध्यम से इनका मेंटेनेंस होता है।
-इसके चलते परियोजना में गड़बड़ी, लाइन टूटने, मोटर खराब होने पर इसे दुरुस्त करने में महीनों लग जाते हैं।
-पंचायतों द्वारा कई बार बिजली बिल जमा नहीं करने पर कनेक्शन भी काट दिया जाता है।
जल जीवन मिशन में दो तरह की योजना संचालित की जाती हैं। एक समूह जल योजना और दूसरी एकल नल जल योजना है। समूह जल योजना के रख-रखाव, पानी की सप्लाई की जिम्मेदारी नेटवर्क बिछाने और परियोजना तैयार करने वाली कंपनी के पास दस वर्ष तक रहती है। एकल नल जल योजना की नेटवर्किंग तैयार करने का काम पीएचई के पास है, जबकि संचालन का काम पंचायतों के पास है। इसमें प्रदेश में पूर्व से चल रही ग्रामीण नल जल योजनाओं को भी शामिल किया गया है।
मेरे गांव में पिछले दस वर्ष से नल जल योजना संचालित है। यहां कभी पानी सप्लाई होता है और कभी बंद हो जाता है। इसकी वजह यह है कि बिजली बिल जमा नहीं होने से कनेक्शन कट जाता है। पिछले वर्ष लाइन खराब होने से महीनों तक पानी की सप्लाई बंद थी।
राधेश्याम पारदी, गांव शारदा टोला, बुरहानपुर
एक नई नीति बनाई जा रही है। एकल नल-जल योजना के संचालन का काम पंचायतें करेगी, लेकिन इनके मेंटेनेंस का काम पीएचई डिपार्टमेंट करेगा।
पी.नरहरि, पीएस, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग