Aditi Rawat
21 Nov 2025
Aditi Rawat
21 Nov 2025
Mithilesh Yadav
21 Nov 2025
Mithilesh Yadav
21 Nov 2025
इंदौर – शहर की सड़कों पर सुबह। सुबह दौड़ती मौतों को देखकर लगता है जैसे यह हाईवा। डंपर नहीं, बल्कि खुलेआम भागते “किलिंग मशीन” हैं।और उन्हें रोकने वाला कोई नहीं। अफसोस यह कि इन हादसों में मरते हम हैं, गलती हमारी बताई जाती है, जबकि टैक्स, रोड टैक्स, निगम टैक्स से लेकर जीएसटी तक भरने वाले आम लोग ही इन बेकाबू वाहनों के नीचे रौंद दिए जाते हैं।हकीकत यह है,किसी की मौत के बाद भी डंपर और भारी हाईवा कुछ घंटों के लिए थाने के बाहर खड़े होते हैं, फिर एक फोन या कुछ पैसों में छूटकर दोबारा शहर की सड़कों पर मौत बनकर दौड़ने लगते हैं। मानो भारी टैक्स चुकाने से उन्हें जनता को कुचलने का लाइसेंस मिल गया हो।
लसुडिया और आस-पास के इलाकों में स्कूल समय पर रेत से भरे बड़े डंपर ऐसे फर्राटे भरते हैं जैसे सड़कें उनकी बापौती हों। माता। पिता तक दहशत में हैं, लेकिन पुलिस की कार्रवाई सिर्फ खानापूर्ति, फोटो क्लिक, और औपचारिक चालान तक सीमित है। एक ही पैटर्न— घटना के बाद कुछ दिखावा, फिर सब सामान्य, फिर एक और हादसा… और फिर वही औपचारिकता।
15 सितंबर को एयरपोर्ट रोड, शिक्षक नगर में एक बेकाबू ट्रक ने ऐसा कोहराम मचाया कि तीन लोगों की मौके पर मौत हो गई। घटना के बाद शहर में बड़े वाहनों पर प्रतिबंध लागू किया गया। लेकिन ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने 'नो। एंट्री' के खिलाफ हल्ला बोला, व्यापारियों ने नुकसान का हवाला दिया और प्रशासन ने छूट दे दी। नतीजा यह होते ही रेडिसन चौराहे से लेकर बॉम्बे हॉस्पिटल और देवास नाका तक ट्रक कॉलोनियों में धड़ल्ले से घुसते नजर आते हैं। रोकने वाला कोई नहीं।