Mithilesh Yadav
7 Oct 2025
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर का बयान सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई है। उन्होंने केंद्र सरकार की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की गई कोशिशों को नाकाफी बताते हुए कहा कि पाकिस्तान को किसी भी बड़े देश ने इस हमले के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में उस समय आतंकी हमला हुआ, जब घाटी में पर्यटक सीजन अपने चरम पर था। मैदान में समय बिता रहे टूरिस्टों पर फायरिंग कर दी गई, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए। यह हमला देश भर में आक्रोश और शोक का कारण बना।
हमले के बाद भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान के भीतर मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की। इसमें करीब 100 आतंकियों को मार गिराने का दावा किया गया। इसके बाद 10 मई शाम 5 बजे दोनों देशों में सीजफायर पर सहमति बनी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत सरकार ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब करने के लिए सात डेलिगेशन 33 देशों में भेजे। इन प्रतिनिधिमंडलों में 59 सदस्य थे, जिनमें कांग्रेस के शशि थरूर, मनीष तिवारी और आनंद शर्मा जैसे नेता भी शामिल थे। मकसद था—पाकिस्तान को पहलगाम हमले के लिए वैश्विक स्तर पर दोषी ठहराना।
अय्यर ने न्यूज एजेंसी IANS से बातचीत में कहा- 33 देशों में जहां सांसद गए, किसी ने पाकिस्तान को दोषी नहीं ठहराया। न संयुक्त राष्ट्र और न अमेरिका ने। हम ही अपनी छाती पीट-पीटकर कहते हैं कि हाय-हाय पाकिस्तान जिम्मेदार है, लेकिन कोई मानने को तैयार नहीं। क्योंकि हम कोई पुख्ता सबूत नहीं दे पाए।
केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि हमला लश्कर-ए-तैयबा ने करवाया था। इसके पीछे पाकिस्तान की फंडिंग और ट्रेनिंग का सीधा कनेक्शन बताया गया। गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा कि हमले के दोषियों को ऑपरेशन महादेव के तहत दाछीगाम के जंगलों में मार गिराया गया।
भारत सरकार ने डेलिगेशन के जरिए 5 मुख्य संदेश अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दिए:
मणिशंकर अय्यर के अनुसार, भारत सरकार यह साबित करने में विफल रही कि हमले के पीछे पाकिस्तान की कौन-सी एजेंसी थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की दलीलें प्रभावी साबित नहीं हो सकीं, क्योंकि फॉरेंसिक और इंटेलिजेंस सबूत पर्याप्त नहीं थे। यही वजह है कि संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका जैसे संगठन पाकिस्तान को खुले तौर पर दोषी नहीं ठहरा सके।
अय्यर के बयान से जहां केंद्र सरकार पर सवाल उठे हैं, वहीं विपक्ष को भी जवाब देना पड़ रहा है कि जब उनके नेता भी प्रतिनिधिमंडल में थे, तो अब सरकार की आलोचना किस नैतिक आधार पर हो रही है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा संसद और मीडिया दोनों में चर्चा का विषय बन सकता है।
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