Priyanshi Soni
25 Oct 2025
Peoples Reporter
25 Oct 2025
Priyanshi Soni
25 Oct 2025
Shivani Gupta
24 Oct 2025
भोपाल। मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का मामला पिछले 6 साल से अदालत में लंबित है। इस विषय को सुलझाने और राजनीतिक सहमति बनाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गुरुवार को सीएम हाउस में सर्वदलीय बैठक बुलाई। बैठक में कांग्रेस, सपा और आप समेत सभी दलों के नेता शामिल हुए।
बैठक में पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर सर्वदलीय संकल्प पारित किया गया। जिसमें ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर सभी राजनीतिक दल एक मत हो गए हैं। वहीं 13 तारीख को सुप्रीम कोर्ट में सरकार अपना पक्ष रखेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सर्वदलीय बैठक के बाद कहा कि आज सभी दलों की भावनाओं के अनुरूप निर्णय लिया गया है। ओबीसी वर्ग के आरक्षण को लेकर सरकार गंभीर है और इसका समाधान निकाला जाएगा। उन्होंने बताया कि सभी चाहते हैं कि ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन प्रकरण में निर्णय जल्द आए। ताकि सभी बच्चों को आयु सीमा खत्म होने के पहले लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि 14 प्रतिशत क्लियर है और 13 प्रतिशत होल्ड है।
बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, कमलेश्वर पटेल, सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट रामेश्वर ठाकुर, समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव और आम आदमी पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष रानी अग्रवाल मौजूद रहे।
बैठक से पहले कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने जानबूझकर आरक्षण को रोका। उन्होंने कहा, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को नाक रगड़कर माफी मांगनी चाहिए। जिन लोगों ने गड़बड़ी की, उन्हें सजा मिलनी चाहिए।
वहीं नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने तंज कसते हुए कहा कि गणेश चतुर्थी पर सरकार को सद्बुद्धि आई है। 27% आरक्षण कांग्रेस ही लेकर आई थी, आज उसी का गृह प्रवेश हो रहा है।
आम आदमी पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष रानी अग्रवाल ने कहा कि 27 प्रतिशत आरक्षण तो पहले ही लागू हो गया था। यह ओबीसी का हक है, लेकिन भाजपा सरकार इसे लटका रही है। हमें बैठक में सिर्फ नाम के लिए न बुलाया जाए, बल्कि ठोस समाधान निकाला जाए।
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव ने कहा कि ओबीसी की आबादी 52% है, लेकिन आरक्षण सिर्फ 14% दिया जा रहा है। 13% होल्ड आरक्षण तत्काल लागू किया जाए। मुख्यमंत्री डंके की चोट पर देने की बात करते हैं, तो लागू क्यों नहीं करते?
साल 2019 में कमलनाथ सरकार ने ओबीसी आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% करने का निर्णय लिया था। सरकार का तर्क था कि राज्य की आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी 48% है, इसलिए 27% आरक्षण न्यायसंगत है।
लेकिन इस फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि आरक्षण की कुल सीमा 50% से अधिक हो जाएगी, जो सुप्रीम कोर्ट की इंदिरा साहनी केस (1992) में तय सीमा का उल्लंघन है। मई 2020 में हाईकोर्ट ने 27% ओबीसी आरक्षण पर स्टे आदेश दे दिया। इसके चलते एमपीपीएससी और शिक्षकों की भर्ती समेत कई नियुक्तियां अटकी हुई हैं।
सर्वदलीय बैठक के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार और विपक्ष मिलकर इस मसले का समाधान निकालने के लिए अदालत में मजबूती से पक्ष रखेंगे। हालांकि विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए 6 साल तक ओबीसी वर्ग को उनके अधिकार से वंचित रखा।