एनजीटी के आदेश से पेंच टाइगर रिजर्व के आसपास के रिजॉर्ट्स-होटल संचालकों को मिली राहत
संतोष चौधरी
भोपाल। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के एक अहम आदेश से पेंच टाइगर रिजर्व के आसपास संचालित हो रहे 50 से अधिक रिजॉर्ट्स, होटल संचालकों को फिलहाल बड़ी राहत मिली है। हालांकि, उन्हें आगे सभी पर्यावरणीय नियमों का पालन करना होगा। एनजीटी ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता ने भले ही कुछ विशिष्ट रिसॉर्ट्स पर आरोप लगाए हों, लेकिन उन्हें इस मामले में प्रतिवादी नहीं बनाया गया। किसी भी पक्षकार को बिना सुनवाई का मौका दिए आदेश पारित नहीं किया जा सकता। यदि याचिकाकर्ता किसी विशेष रिसॉर्ट की गतिविधियों से परेशान है तो वह नियमों के तहत अलग से याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र है।
ये भी पढ़ें: भोपाल के टीचर्स ने नवाचार से छात्रों को दिखाई नई राह, क्लब्स से लेकर म्यूजियम तक को बनाया पठन-पाठन का केंद्र
आरोप और शिकायतें
याचिकाकर्ता दिनेश ठाकुर ने एनजीटी में शिकायत की थी कि पेंच टाइगर रिजर्व क्षेत्र के खवासा, टुरिया, करमाझिरी और जुमतरा क्षेत्र में वन भूमि पर अवैध रूप से रिसॉर्ट्स बनाए गए हैं। 10 सालों में इनकी संख्या काफी बढ़ गई है। आरोप था कि इन रिसॉर्ट्स में ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले विवाह समारोह, पार्टियां, सेमिनार होते हैं। तेज डीजे, आतिशबाजी और कचरे का निस्तारण न होने से प्राणियों की सुरक्षा, पर्यावरण पर असर पड़ रहा है। रिसॉर्ट निर्माण के लिए जंगल काटने का भी आरोप लगाया गया।
जांच रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
एनजीटी ने प्रमुख सचिव वन, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पेंच टाइगर रिजर्व के प्रतिनिधियों की संयुक्त समिति गठित कर जांच कराई। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा-
-खवासा गेट के पास स्थित रिसॉर्ट्स में शादी, पार्टियां और कार्यक्रम होते हैं, लेकिन विवाह समारोह ध्वनिरोधी बैंक्वेट हॉल में ही होते हैं।
-डीजे और पटाखों पर प्रतिबंध लागू है तथा वन्य प्राणियों के पलायन की कोई घटना दर्ज नहीं हुई।
-ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था तुरिया गांव में मौजूद है। निरीक्षण के दौरान वन क्षेत्र में कचरा फेंके जाने की बात सामने नहीं आई।
-रिसॉर्ट्स राजस्व भूमि पर बने हैं, वहां पर्याप्त वृक्षारोपण है।
-ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 का नियमित पालन हो रहा है।
एनजीटी का आदेश : रिपोर्ट पर विचार करते हुए एनजीटी ने कहा कि फिलहाल किसी बड़ी कार्रवाई की जरूरत नहीं है। हालांकि, उसने कुछ निर्देश दिए। इनमें ईएसजेड अधिसूचना 2019, ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।
ये भी पढ़ें: श्रीनगर की हजरतबल दरगाह में ईद-ए-मिलाद पर बवाल, अशोक स्तंभ तोड़ा; रिनोवेशन के बाद उठा विवाद
भोपाल में कई अवैध रिसॉर्ट, हम जाएंगे सुप्रीम कोर्ट
राजधानी भोपाल स्थित कलियासोत डैम और बाघ भ्रमण क्षेत्र केरवा, चंदनपुरा, मेंडोरा, मेंडोरी के आसपास भी करीब 100 से अधिक रिसॉर्ट, होटल्स, फार्म हाउस और पब बने हुए हैं। इनका कचरा और प्रदूषित जल डैम में मिल रहा है। इन रिसॉर्ट्स में होने वाले शादी समारोह और अन्य गतिविधियों और तेज संगीत से बाघों सहित अन्य वन्य प्राणियों की जीवन प्रभावित हो रहा है। हम भी एनजीटी गए थे, लेकिन फैसला हमारे फेवर में नहीं था। अब हम सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।
- राशिद नूर, एनजीटी याचिकाकर्ता, भोपाल