भोपाल के टीचर्स ने नवाचार से छात्रों को दिखाई नई राह, क्लब्स से लेकर म्यूजियम तक को बनाया पठन-पाठन का केंद्र
प्रीति जैन
भोपाल। हम अक्सर शिक्षक को उस व्यक्ति के रूप में देखते हैं, जो हमें किताबों का ज्ञान देता है और पाठ्यक्रम पूरा कराता है, लेकिन अगर केवल इतनी ही परिभाषा शिक्षक की होती, तो शिक्षा का उद्देश्य अधूरा रह जाता। सच्चा शिक्षक वही है, जो न केवल किताबों से जुड़ा ज्ञान दे, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाए। जीवन की कठिनाइयों में संतुलन बनाए रखना और समाज के लिए सकारात्मक योगदान देने का सबक सिखाए। यह एक सच्चे शिक्षक से ही सीखा जा सकता है। महान दार्शनिक अरस्तू ने कहा था कि शिक्षा का उद्देश्य अच्छे नागरिक तैयार करना है। टीचर्स डे के मौके पर हम पाठकों को ऐसे ही शिक्षकों से रूबरू करा रहे हैं, जिन्होंने खुद को क्लासरूम टीचिंग तक सीमित नहीं रखा, बल्कि स्टूडेंट्स का नेतृत्व किया और फिर उन्हें जिम्मेदारी देकर दूसरे टास्क में जुट गए।
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म्यूजियम को बनाया सीखने की जगह
म्यूजियम स्कूल संग्रहालय यानी ऐसी जगह, जहां नई-पुरानी चीजों के साथ किसी देश की कला, संस्कृति और उसके इतिहास को सहेज कर रखा जाता है। मैंने अपने नवाचारी विचारों से संग्रहालयों को बस्तियों में रहने वाले बच्चों के लिए स्कूल बना दिया। परवरिश-द म्यूजियम स्कूल की क्लासेस संग्रहालय में नियमित रूप से लगती हैं, जिसमें तीन साल से लेकर पंद्रह साल तक के बच्चे पढ़ाई के साथ स्किल भी सीखते हैं। पिछले 20 साल में लगभग 10,000 बच्चों को शिक्षा से जोड़कर उनके भविष्य को गढ़ने का काम किया है। किसी स्कूल में जॉब करने से बेहतर मुझे किन्हीं कारणों से स्कूल नहीं जा पाने वाले बच्चों को शिक्षा से जोड़ना सुखद लगा। इसी कार्य के लिए यूनेस्को एजुकेशन इनोवेशन अवॉर्ड भी मिल चुका है।
शिबानी घोष, फाउंडर परवरिश-द म्यूजियम स्कूल
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मैनिट में 20 साल में शुरू किए चार क्लब
20 साल पहले मैनिट में मैंने हिंदी फेस्टिवल की शुरुआत थी और फिर कुछ सालों बाद तूर्यनाद शीर्षक से मैनिट से निकलकर यह देश के दूसरे कॉलेजों तक पहुंच गया। इसका मकसद हिंदी भाषी छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ाना था। 5 स्टूडेंट्स के साथ शुरू किया गया यह समूह अब 150 स्टूडेंट्स की टीम के साथ हर साल हिंदी फेस्ट के माध्यम से लगभग 3 से 4 हजार स्टूडेंट्स को जोड़ता है। मैनिट में मैंने कई नए क्लब्स शुरु किए हैं।
-डॉ. सविता दीक्षित, प्रोफेसर मैनिट
छात्रों की ग्रूमिंग के लिए शुरू किए कोर्स
बीएसएसएस में मैंने फादर डॉ. पीजे जॉनी के सहयोग से जर्नलिज्म में सर्टिफिकेट व डिप्लोमा कोर्स शुरू किया। चूंकि मैं सालों से दूरदर्शन पर न्यूज रीडिंग कर रही हूं, इसलिए मैं जानती हूं कि जर्नलिज्म के जरिए स्टूडेंट्स की पर्सनालिटी ग्रूमिंग व देश-दुनिया को लेकर समझ विकसित होती है। मेरे नेतृत्व में छात्रों ने शहर में 24 घंटे में 151 नुक्कड़ नाटक करके लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। अब स्पार्टन्स क्लब की शुरुआत की है, जो कि शहर में सामाजिक जागरुकता के कार्यक्रमों में वालंटियर सहयोग करता है। कॉलेज का अपना रेडियो स्टेशन रेडियो रिद्म शुरू किया।
-डॉ. मंजू मेहता, फैकल्टी बीएसएसएस