Manisha Dhanwani
4 Nov 2025
Peoples Reporter
4 Nov 2025
NISAR Mission : मानव इतिहास का सबसे ताकतवर अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) अब लॉन्चिंग के लिए तैयार है। इस संयुक्त अमेरिकी-भारतीय मिशन को 30 जुलाई 2025 को शाम 5:40 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से GSLV-Mk2 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा। यह सैटेलाइट धरती पर आने वाली लगभग हर प्राकृतिक आपदा की सटीक और पहले से जानकारी देगा।
NISAR को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह धरती की सतह पर हो रहे टेक्टोनिक मूवमेंट, भूकंप, भूस्खलन, जंगलों में आग, ज्वालामुखी, बिजली गिरना, चक्रवात, बवंडर, और ग्लेशियरों के पिघलने जैसी आपदाओं का विश्लेषण करके पहले से चेतावनी जारी कर सकता है।
यह सैटेलाइट टेक्टोनिक प्लेट्स की मूवमेंट को सेंटीमीटर के स्तर तक रिकॉर्ड करेगा, जिससे पता चल सकेगा कि कहां और कब भूकंप की आशंका है।

NISAR पृथ्वी की सतह की हर 12 दिन में एक बार पूरी स्कैनिंग करेगा। यानी एक स्थान की ताजा तस्वीरें 12 दिन बाद फिर से लेगा। इससे जलवायु, पर्यावरण और आपदाओं के बदलावों को समझने में वैज्ञानिकों को लगातार डाटा मिलता रहेगा। नासा वैज्ञानिक कैथलीन जोन्स के मुताबिक, इससे पूरी दुनिया को आने वाले मौसम और आपदाओं की जानकारी पहले से मिल सकेगी।
NISAR में एक बड़ा मेन बस होगा जिसमें कई वैज्ञानिक उपकरण होंगे जैसे ट्रांसपोंडर, टेलीस्कोप और रडार सिस्टम। इसमें एक आर्म निकलेगा, जिसके ऊपर एक सिलेंडरनुमा डिश लगी होगी। लॉन्चिंग के कुछ घंटों बाद यह डिश खुल जाएगी और एक बड़ी छतरीनुमा डिश एंटीना सामने आएगी। यही उसका सिंथेटिक अपर्चर रडार होगा।
यह अब तक का सबसे महंगा अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट मिशन होगा, जिसे किसी दो देशों ने संयुक्त रूप से बनाया है।
NISAR सिर्फ पृथ्वी की आपदाओं तक सीमित नहीं रहेगा। यह अंतरिक्ष से धरती की ओर आने वाले खतरों, माइक्रोमेटियरॉइड्स, और स्पेस डेब्रिस (अंतरिक्षीय कबाड़) पर भी नजर रखेगा। साथ ही पेड़-पौधों की बढ़ती या घटती संख्या, जलवायु परिवर्तन, और समुद्री जलस्तर की निगरानी भी करेगा।