मध्यप्रदेश के शिक्षकों को मिलेगा चौथा क्रमोन्नति वेतनमान, सीएम डॉ. मोहन यादव का ऐलान
भोपाल में आयोजित राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह के दौरान सीएम डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के शिक्षकों को बड़ा तोहफा दिया। उन्होंने घोषणा की कि प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षकों को चौथा क्रमोन्नति वेतनमान दिया जाएगा। इस फैसले से प्रदेश के करीब 1.5 लाख शिक्षक लाभान्वित होंगे।
जल्द कैबिनेट में लाएंगे प्रस्ताव
सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि चौथे क्रमोन्नति वेतनमान को लागू करने से सरकार पर 117 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा, लेकिन यह शिक्षकों के परिश्रम और समर्पण का सम्मान है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा। फिलहाल यह लाभ केवल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को मिल रहा था, अब शिक्षक भी इसके पात्र होंगे।
35 साल सेवा पूरी करने वाले शिक्षक होंगे लाभान्वित
यह लाभ उन शिक्षकों को मिलेगा, जिन्होंने 1 जुलाई 2023 तक 35 साल की सेवा पूरी कर ली है, लेकिन पदोन्नति की पात्रता नहीं रखते। ऐसे लगभग डेढ़ लाख प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षक इससे जुड़ेंगे। सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि शिक्षकों की वर्षों पुरानी मांग पूरी होने जा रही है और सरकार सदैव शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है।
25 हजार की सम्मान निधि प्रदान की
भोपाल के प्रशासन अकादमी में आयोजित समारोह में प्रदेशभर से चयनित 14 उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित किया गया। इन्हें 25 हजार रुपए की सम्मान निधि, शॉल, श्रीफल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल और सीएम डॉ. मोहन यादव ने शिक्षकों का सम्मान किया।
सम्मानित शिक्षक
प्राथमिक और माध्यमिक श्रेणी से गुना, शाजापुर, सिवनी, दमोह, खंडवा, उज्जैन और अलीराजपुर सहित 8 शिक्षकों को सम्मान मिला। वहीं, उच्चतर माध्यमिक श्रेणी से धार, जबलपुर, सागर, रतलाम, राजगढ़ और बालाघाट के 6 शिक्षकों को राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले शिक्षक भी हुए सम्मानित
कार्यक्रम में वर्ष 2024 के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित दमोह की शीला पटेल और आगर-मालवा के भैरूलाल ओसारा को भी विशेष सम्मान दिया गया। इसके साथ ही हाल ही में सम्मानित अन्य शिक्षकों दमोह के माधव प्रसाद पटेल और मंदसौर की सुनीता गोधा को राज्य स्तर पर शॉल, श्रीफल और 5 हजार रुपए की सम्मान निधि प्रदान की गई।
भारतीय संस्कृति में गुरु की महिमा
सीएम डॉ. मोहन यादव ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति हमेशा से 'जियो और जीने दो' के सिद्धांत पर आधारित रही है। उन्होंने कहा कि रोबोट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस दौर में भी शिक्षा और संस्कार केवल गुरु ही दे सकते हैं। वेदों में गुरु को ध्यान, पूजा, मंत्र और मोक्ष का आधार बताया गया है। इसी परंपरा के कारण भारत सदैव ‘विश्व गुरु’ कहलाया है।