Priyanshi Soni
25 Oct 2025
Peoples Reporter
25 Oct 2025
Priyanshi Soni
25 Oct 2025
Shivani Gupta
24 Oct 2025
भोपाल। मध्यप्रदेश में लंबे समय से अटका 27% ओबीसी आरक्षण का मामला एक बार फिर चर्चा में है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए 28 अगस्त को सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री निवास पर सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
इस बैठक में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, सपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव और बसपा प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल समेत कई दलों के प्रमुख नेता शामिल रहेंगे।
सीएम मोहन यादव ने उज्जैन में कहा कि सरकार ओबीसी को 27% आरक्षण देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट 23 सितंबर से रोजाना इस मामले की सुनवाई करेगा इसलिए सभी दल मिलकर अदालत में पक्ष रखें। सीएम का कहना है कि किसी वर्ग का हक छीनना हमारा काम नहीं, बल्कि उसे सुरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि कांग्रेस पहले से ही 27% आरक्षण के पक्ष में है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब कांग्रेस और सरकार दोनों सहमत हैं तो बैठक बुलाने की जरूरत क्यों पड़ी। वहीं, कमलनाथ ने कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार अपने ही बुने जाल में फंस रही है। नाथ ने कहा कि सरकार द्वारा सर्वदलीय बैठक बुलाना भी जनता को गुमराह करने का षड्यंत्र है।
साल 2019 में कमलनाथ सरकार ने ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का फैसला लिया था। सरकार का कहना था कि प्रदेश की आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी लगभग 48% है, इसलिए उन्हें 27% आरक्षण मिलना चाहिए। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि इससे आरक्षण की सीमा 50% से ऊपर हो जाएगी, जो सुप्रीम कोर्ट के 1992 के मंडल आयोग फैसले का उल्लंघन है। मई 2020 में हाईकोर्ट ने 27% आरक्षण पर रोक लगा दी। इसके कारण एमपीपीएससी और शिक्षकों की भर्ती सहित कई नियुक्तियां अटक गईं।