Mithilesh Yadav
7 Oct 2025
Mithilesh Yadav
7 Oct 2025
Shivani Gupta
7 Oct 2025
अशोक गौतम, भोपाल। लोगों को ई-बस सुविधा के लिए अभी 6 माह का इंतजार और करना होगा। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर ने डिपो बनाने के लिए टेंडर अभी जारी किया है। जबकि सागर और उज्जैन ने अभी तक जगह का चयन नहीं किया है। निवेशकों को डिपो , चार्जिंग स्टेशन, सर्विस सेंटर बनाने सहित अन्य कामों में कम से कम पांच से 6 माह का समय लगेगा। इन 6 शहरों में 582 ई-बसों का संचालन जल्द शुरू करने की तैयारी चल रही है। इनमें से 472 बसें 32 सीटर और 110 बसें 21 सीटर होंगी। इन बसों का संचालन नगरीय निकायों को महंगा पड़ सकता है, क्योंकि इनके संचालन के लिए जीसीसी यानी ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रेक्ट मॉडल अपनाया गया है। इसमें इलेक्ट्रिक बस, ड्राइवर, कंडक्टर और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी संबंधित कंपनी की ही रहेगी। सरकार केवल प्रति किलोमीटर के हिसाब से उसे भुगतान करेगी। प्रतिदिन न्यूनतम 180 किलोमीटर का भुगतान किया जाएगा।
शहर | डिपो की जगह | बसें |
भोपाल | लालघाटी, आईएसबीटी के सामने | 100 |
इंदौर | नायता मुडला और देवास नाका | 150 |
ग्वालियर | आईएसबीटी और रमौआ | 100 |
जबलपुर | आईएसबीटी और कठौदा | 100 |
उज्जैन | शहर के अंदर कई जगह चिन्हित | 100 |
सागर | भू-खण्ड लेने कलेक्टर से बातचीत | 32 |
इंदौर में अभी एक एजेंसी 65 रुपए प्रति किलोमीटर की दर से ई-बसें संचालित कर रही है। यदि नई ई-बसों का कॉन्ट्रेक्ट 60 रुपए प्रति किलोमीटर में होता है तो एक बस को 180 किमी का प्रतिदिन 10800 रुपए का भुगतान होगा, चाहे उसमें सवारियां बैठे या नहीं। इस प्रकार बसों का संचालन करने वाली एजेंसी को 582 बसों का प्रतिदिन 62 लाख 85 हजार 600 रुपए मिलेगा। एक महीने में यह राशि 18 करोड़ 85 लाख 68 हजार रुपए होगी।
100 बसों के लिए डिपो, चार्जिंग प्वाइंट, सर्विस सेंटर बनाने में 10 से 12 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें 60 फीसदी राशि केन्द्र और 40 प्रतिशत राशि राज्य को देना होगी। सरकार सिर्फ जमीन और इंफ्रा विकसित करेगी। चार्जिंग गन बसों का संचालन करने वाली कंपनी ही लगाएगी और बिजली का बिल भी कंपनी ही चुकाएगी। ऐसे 11 चार्जिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं। जबकि टिकटिंग एजेंसी संबंधित निकाय तय करेंगे। टिकट का पैसा निकाय के पास जाएगा, इसी से बसों का भुगतान होगा।
बसों के संचालन के लिए प्रति किलोमीटर के अनुसार भुगतान होगा। इसके लिए केंद्र सरकार प्रति किलोमीटर के अनुसार 22 रुपए देगी। केंद्र यह राशि 2037 तक यानी 12 साल तक देगी। जो राशि बचेगी वह किराए से कवर होगी। जहां किराए से कवर नहीं हो पाएगी उसका भुगतान संबंधित नगरीय निकाय को करना होगा।
केंद्र ने इसकी भी पुख्ता व्यवस्था की है कि ई-बसों को नियमित भुगतान होता रहे। इसके लिए बैंक में एक एस्क्रो अकाउंट खुलवाया जाएगा। इसमें राज्य सरकार को कम से कम तीन माह का एडवांस पेमेंट जमा कराना होगा। यदि निकाय भुगतान करने में विफल रहते हैं तो इस अकाउंट में से संचालनकर्ता कंपनी को भुगतान हो जाएगा।
[quote name="संकेत भोंडवे, आयुक्त, नगरीय विकास एवं आवास विभाग" quote="प्रदेश के सात शहरों में ई-बसों के संचालन के लिए तैयारियां की जा रही है। भोपाल, इंदौर सहित कई निकायों ने डिपो के लिए जगह चिन्हित कर इनमें इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए एजेंसियों से ऑफर बुलाए हैं।" st="quote" style="3"]