Naresh Bhagoria
21 Dec 2025
भोपाल। 17 जुलाई 2025 को मध्य प्रदेश न्यायपालिका के लिए ऐतिहासिक दिन रहा। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। यह शपथ ग्रहण समारोह भोपाल स्थित राजभवन के सांदीपनि सभागार में आयोजित किया गया। प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। समारोह सुबह 10 बजे शुरू हुआ, जिसमें कई वरिष्ठ न्यायाधीश, सरकारी अधिकारी और गणमान्य लोग शामिल हुए।
गौरतलब है कि 24 मई 2025 से ही जस्टिस संजीव सचदेवा कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उनके प्रदर्शन और अनुभव को देखते हुए केंद्र सरकार ने 15 जुलाई 2025 को उनकी स्थायी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की। वे पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत के सेवानिवृत्त होने के बाद कार्यभार संभाल रहे थे। इस समारोह के साथ उन्होंने अब स्थायी रूप से इस पद को ग्रहण कर लिया है।
जस्टिस संजीव सचदेवा की नियुक्ति उस सूची का हिस्सा है जिसे हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जारी किया था। इस सूची में देश के कई राज्यों जैसे कर्नाटक, झारखंड, बिहार, तमिलनाडु, त्रिपुरा, तेलंगाना और राजस्थान के लिए नए मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई थी।
जन्म: 26 दिसंबर 1964, दिल्ली
शिक्षा: कॉमर्स में स्नातक (दिल्ली विश्वविद्यालय)
1988: दिल्ली बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में नामांकन
1995: सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड की योग्यता प्राप्त
2013: दिल्ली हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने
2015: स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
2024: दिल्ली हाईकोर्ट से मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में स्थानांतरण
2025: कार्यवाहक से स्थायी मुख्य न्यायाधीश बने
जस्टिस सचदेवा ने आंध्रप्रदेश, रांची व दिल्ली समेत विभिन्न स्थानों पर वकीलों को प्रशिक्षित भी किया है। वे बार काउंसिल ऑफ इंडिया के लिए दो दशकों तक सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के स्थायी वकील रहे।
जस्टिस संजीव सचदेवा ने अपने कानूनी करियर में ना केवल कई जटिल मामलों का निपटारा किया, बल्कि न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता और त्वरित फैसलों के लिए भी अपनी अलग पहचान बनाई। उनकी कार्यशैली, गंभीर दृष्टिकोण और विधिक ज्ञान उन्हें इस उच्च पद के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
उनकी नियुक्ति से यह उम्मीद की जा रही है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लंबित मामलों के निपटारे की प्रक्रिया तेज होगी और न्यायिक प्रणाली और अधिक प्रभावी एवं जनहितकारी बनेगी।