भोपाल। प्रदेश में लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों के थोकबंद तबादले किए गए। इसमें कई ऐसे अफसरों की पोस्टिंग मलाईदार विभागों और मैदानी तौर पर कर दी गई जो अपने बैच में ही काफी जूनियर हैं। इससे ब्यूरोक्रेटस में कॉडर मैनेजमेंट गड़बड़ा गया। ऐसे में उन सीनियर अफसरों की चिंताएं बढ़ गईं हैं जिन्हें अच्छे विभाग मिले हैं। मंत्रालय में पिछले कई सालों से उप सचिव और अपर सचिव बने अफसर भी निराश हैं। संभाग स्तर पर अपर आयुक्त भी मैदानी पोस्टिंग नहीं पा सके हैं। जिन वरिष्ठ अफसरों को साइड लाइन किया गया है वे अब ऑफिस आने-जाने तक ही सीमित हो गए हैं।
प्रताप नारायण यादव राप्रसे से आईएएस बने हैं। इन्हें वर्ष 2016 बैच मिला है। इस बैच में 26 आईएएस हैं। यादव का नाम वरिष्ठता क्रम में 14वें नम्बर पर है। इन्हें नागरिक आपूर्ति निगम (नान) का एमडी बनाया गया है। यहां वर्ष 2009-2010 या इससे सीनियर बैच के अफसर पदस्थ रहे हैं।
मनोज कुमार सरयाम वर्ष 2017 बैच के प्रमोटी आईएएस हैं। इस बैच में कुल 14 अफसर हैं। सरयाम सबसे जूनियर हैं। इन्हें सहकारिता जैसे बड़े विभाग का पंजीयक और आयुक्त बनाया गया है। इसके पहले वर्ष 2007 या इससे सीनियर आईएएस अफसरों की पोस्टिंग होती रही है।
वर्ष 2016 बैच के आईपीएस अगम जैन को छतरपुर जिले का पुलिस अधीक्षक बनाया गया है। इसके पहले वे झाबुआ के एसपी थे। इस जिले के एसपी वर्ष 2009 बैच के अमित सांघी रहे हैं। छतरपुर संवेदनशील माना जाता है, इसलिए यहां वरिष्ठ आईपीएस पदस्थ होते आए हैं।
प्रशिक्षु आईएफएस वर्ष 2020 बैच के मीना अवधेश कुमार शिवकुमार को वन विहार राष्ट्रीय उद्यान का संचालक बनाया गया है। इसके पहले वन विहार में वन संरक्षक, मुख्य वन संरक्षक और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर के आईएफएस संचालक बनते आए हैं।
ऐसे में वरिष्ठ अफसरों का आत्मविश्वास डगमगाता है वैसे ट्रांसफर-पोस्टिंग सरकार की अपनी व्यवस्था है। लेकिन, जब वरिष्ठ को कमजोर विभाग और जूनियर को मैदानी और बड़े विभागों में पदस्थ किया जाता है तो ब्यूरोक्रेट्स में निराशा के भाव आते हैं। सीनियर अधिकारियों को आत्मविश्वास डगमगाता है। ऐसे में प्रशासनिक व्यवस्था पर कहीं न कहीं असर पड़ता है। - जगदीश चंद जटिया पूर्व आईएएस