Naresh Bhagoria
7 Nov 2025
विश्वनाथ सिंह, इंदौर। एमवाय अस्पताल के चूहा कांड में एमजीएम कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया द्वारा सरकार के बजाय खुद के द्वारा कराई गई जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी गई। चूहों के कुतरने से दो नवजातों की मौत के मामले में लगी रिट पिटीशन में कोर्ट ने डीन से राज्य शासन द्वारा कराई गई जांच रिपोर्ट मांगी थी। इसका खुलासा तब हुआ, जब पीड़ित पक्ष ने अफसरों को इसकी शिकायत की। दो नवजातों की चूहों के कुतरने से 2-3 सितंबर को मौत हो गई थी। मामले में हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर डीन से 15 सितंबर 2025 तक राज्य शासन की रिपोर्ट मांगी थी। सूत्रों के मुताबिक शासन स्तर से कराई गई जांच रिपोर्ट डीन के पास समय से पहुंच गई थी। बावजूद उन्होंने खुद द्वारा कराई गई जांच रिपोर्ट सौंप दी। पीड़ित पक्ष को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अफसरों से शिकायत की थी। इसके बाद 8 अक्टूबर को शासन की जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई। शासन द्वारा कराई गई जांच में डीन और एमवाय अधीक्षक डॉ. अशोक यादव को दोषी माना है।
बच्चों की मौत के बाद डीन डॉ. घनघोरिया ने 3 सितंबर को पीएसएम विभाग के प्रोफेसर डॉ. एसबी बंसल की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई थी। इसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल में पेस्ट कंट्रोल नहीं किया गया। सफाई व्यवस्था को बेहतर किया जाना था। सभी नर्सिंग इंचार्ज, सुपरवाइजर और स्टाफ के बीच समन्वय बैठाना चाहिए। वरिष्ठ विशेषज्ञ द्वारा लापरवाही बरती गई।
बाद में सरकार ने भी 3 सितंबर को ही आयुष्मान विभाग के सीईओ डॉ. योगेश भरसट की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी। इसकी रिपोर्ट में उल्लेख है कि अस्पताल की सफाई, पेस्ट कंट्रोल एवं रोडेन्ट संबंधी होने वाली घटनाओं के प्रबंधन में अस्पताल के डीन एवं अधीक्षक विफल रहे हैं। रिपोर्ट में एजाईल कंपनी, पीडियाट्रिक के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज जोशी सहित अन्य को दोषी माना गया है।
डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया से उनका पक्ष जानने के लिए उन्हें फोन किया गया। एसएमएस और वॉट्सऐप पर मैसेज भी किया गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। मेडिकल कॉलेज पहुंचकर उनके स्टाफ से बात की गई, तो पता चला कि वह बीमार हैं और ऑफिस नहीं आ रहे हैं।