
इंदौर के शासकीय लॉ कॉलेज में एक किताब को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। छात्रों का कहना है कि इस किताब से धार्मिक कट्टरता बढ़ रही है। इसके बाद शनिवार को विवादित किताब ‘सामूहिक हिंसा एवं दाण्डिक न्याय पद्धति’ पर पुलिस ने लेखक, प्रकाशक और कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ FIR दर्ज की है। इसके बाद प्रिंसिपल ने इस्तीफा दे दिया है। आइए जानते हैं कि किताब में ऐसा क्या है जिसको लेकर इतना विवाद हो रहा है…

हिंदू संगठनों के खिलाफ लिखी ये बातें
शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय में रखी डॉ. फरहत खान की किताब में विश्व हिंदू परिषद को लेकर लिखा है- हिंदू सांप्रदायिक विध्वंशकारी विचारधारा के नाम में उभर रहा है। विश्व हिंदू परिषद जैसा संगठन हिंदू बहुमत का राज्य स्थापित करना चाहता हैं और दूसरे समुदायों को शक्तिहीन बनाकर गुलाम बनाना चाहता हैं। पंजाब में सिखों के खिलाफ शिवसेना जैसे त्रिशूलधारी नए संगठनों ने मोर्चा बना लिया है। अपनी सांप्रदायिक गतिविधियों को मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों से संचालित करने लगे हैं।
इसके अलावा लिखा- शिवसेना हिंदू राष्ट्र का नारा दे रही है, जो पूरे सिख समाज के विरुद्ध हैं। अब शिवसेना के नौजवान सिखों के घरों में डकैती और अनजानी घटनाएं कर रहे हैं। यहां तक कि निर्दोष सिखों की हत्याएं भी कर रहे हैं। हिंदू शिव सेना के लोगों ने बैंक में डकैतियां भी डाली हैं। पंजाब में जो कुछ हो रहा है, पंजाबी और उर्दू अखबार ही सही लिखते हैं और हिंदी अखबार झूठ। पंजाब का सच आज यह है कि मुख्य आतंकवादी हिंदू हैं और सिख प्रतिक्रिया में आतंकवादी बन रहा है।

दो समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने की FIR
भंवरकुआं थाना प्रभारी शशिकांत चौरसिया ने बताया कि ‘सामूहिक हिंसा एवं दांडिक न्याय पद्धति’ शीर्षक वाली किताब की लेखिका डॉ. फरहत खान, प्रकाशक अमर लॉ पब्लिकेशन, संस्थान के प्राचार्य डॉ. इनामुर्रहमान और संस्थान के प्राध्यापक मिर्जा मोजिज बेग के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यह एफआईआर शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय के एक छात्र की शिकायत पर भारतीय दंड विधान की धारा 153-ए (धर्म के आधार पर दो समूहों के बीच वैमनस्य फैलाना), 295-ए (किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जान-बूझकर किए गए विद्वेषपूर्ण कार्य) और अन्य संबद्ध प्रावधानों के तहत दर्ज की गई है।
प्रदर्शन के बाद सरकार ने दिए थे FIR के आदेश
मामले सामने आने के बाद शनिवार सुबह गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narottam mishra) ने इंदौर पुलिस आयुक्त को मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। इससे पहले ABVP कार्यकर्ताओं ने कॉलेज में विवादित किताब के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी की थी। विवाद को देखते हुए कॉलेज में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था।
छात्रों का दावा- 5 साल से पढ़ा रहे थे किताब
कॉलेज में एबीवीपी के अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि यह किताब कॉलेज की लाइब्रेरी में पिछले पांच सालों से पढ़ाई रही है। डॉ. फरहत खान की किताब ‘सामूहिक हिंसा एवं दांडिक न्याय पद्धति’ में हिंदू समुदाय, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी जैसे संगठनों के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं। उन्होंने कहा कि मामला तूल पकड़ने के बाद कॉलेज प्रबंधन ने इसे आनन-फानन में लाइब्रेरी से हटवा दिया।
प्रकाशक बोले- लेखिका मांग चुकी हैं माफी
इधर, किताब के प्रकाशक अमर लॉ पब्लिकेशन के हितेश खेत्रपाल ने कहा- किताब का पहला संस्करण 2015 में छापा गया था। 2021 में इसके विवादित अंशों के बारे में पता चलने पर हमने इसकी लेखिका डॉ. फरहत खान से चर्चा कर किताब के संबंधित पेज बदलवा दिए थे। विवादित अंशों को लेकर किताब की लेखिका पहले ही माफीनामा दे चुकी हैं।
गुरुवार से मामले ने पकड़ा तूल
लॉ कॉलेज में विवाद की शुरुआत गुरुवार को हुई थी। उस दिन एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने संस्थान के कुछ शिक्षकों पर नए छात्रों के बीच धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। कार्यकर्ताओं का कहना था कि ये शिक्षक नए छात्रों के उनके मन में देश की सरकार और सेना को लेकर नकारात्मक बातें भर रहे हैं। हंगामे के बाद कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डॉ. इनामुर्रहमान ने 6 प्रोफेसर्स को शैक्षणिक कार्य से 5 दिन के लिए हटाने की बात कही थी। उन्होंने जिला अदालत के किसी रिटायर्ड जर्ज से आरोपों की जांच कराने की भी बात कही थी।
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