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नई दिल्ली। अमेरिका ने एच-1बी वीजा के नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए इसकी एप्लिकेशन फीस 1 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 88 लाख रुपए) कर दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में आदेश पर साइन करके इसे लागू कर दिया। अब तक H-1B वीजा की फीस 1 से 6 लाख रुपए तक थी। इस फैसले का सबसे ज्यादा असर भारतीय आईटी और टेक प्रोफेशनल्स पर पड़ने वाला है। इसको लेकर राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधा। राहुल ने सोशल मीडिया X पर लिखा कि, भारत के पास कमजोर प्रधानमंत्री है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि "भारत के पास एक कमजोर प्रधानमंत्री है, जो अमेरिकी दबाव में भी देश का हित सुरक्षित नहीं कर पाए।" राहुल ने 2017 का अपना पुराना पोस्ट भी शेयर किया और कहा कि तब भी मोदी ने अमेरिका से इस मुद्दे पर बात नहीं की थी।
खड़गे ने कहा- "मोदी का बर्थडे गिफ्ट..."
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जन्मदिन पर देश को "रिटर्न गिफ्ट" दिया है, जिससे हर भारतीय दुखी है। उन्होंने लिखा कि, "राष्ट्रीय हित सबसे पहले है, लेकिन गले मिलना और मोदी-मोदी के नारे विदेश नीति नहीं हैं।" खड़गे ने यह भी दावा किया कि 70% H-1B वीजा धारक भारतीय हैं और यह बदलाव सीधे भारतीय कर्मचारियों को प्रभावित करेगा।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि, मोदी की रणनीतिक चुप्पी और दिखावटी प्रचार अब भारत और उसके नागरिकों के लिए बोझ बन गया है। उन्होंने कहा कि एच-1बी वीजा के नए नियमों ने भारतीय टैलेंट और उनके भविष्य को खतरे में डाल दिया है।
एच-1बी वीजा अमेरिका का एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है, जो तकनीकी और विशेष स्किल वाले कर्मचारियों को दिया जाता है। इसमें आईटी, इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर और हेल्थ सेक्टर शामिल हैं।
भारत की आईटी कंपनियां- इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो, कॉग्निजेंट और एचसीएल सबसे ज्यादा H-1B वीजा स्पॉन्सर करती हैं। 2024 में 2 लाख से ज्यादा भारतीयों ने H-1B वीजा लिया। अब इतनी ऊंची फीस से कंपनियों के लिए कर्मचारियों को अमेरिका भेजना मुश्किल होगा। छोटे और मिड-लेवल कर्मचारियों को वीजा मिलना लगभग असंभव हो जाएगा।
व्हाइट हाउस के स्टाफ सेक्रेटरी विल शार्फ ने कहा कि H-1B वीजा का सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल हुआ है। नया नियम यह सुनिश्चित करेगा कि केवल बेहद प्रतिभाशाली और हाई-स्किल्ड लोग ही अमेरिका आ सकें।
वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि "हमें कामगारों की जरूरत है, लेकिन सिर्फ बेहतरीन कामगारों की। नए नियम से यह तय होगा कि अमेरिकी नौकरियां सुरक्षित रहें और कंपनियां केवल असाधारण टैलेंट को ही लाएं।"