टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी कंपनियों के मालिक और ट्रम्प प्रशासन में सलाहकार की भूमिका निभा रहे इलॉन मस्क ने H-1B वीजा प्रोग्राम को लेकर एक बार फिर बयान दिया है। मस्क ने इसमें बड़े सुधार की जरूरत पर जोर दिया है। हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट के जवाब में मस्क ने कहा कि इस प्रोग्राम को बेहतर बनाने के लिए न्यूनतम वेतन और इसके प्रबंधन को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने H-1B वीजा के समर्थन में पिछले सप्ताह एक पोस्ट में इसे संरक्षित करने की बात कही थी।
H-1B वीजा पर ट्रम्प का बदलता रुख
डोनाल्ड ट्रम्प पहले H-1B वीजा का विरोध करते रहे थे, वहीं अब वो मस्क की राय से सहमत नजर आ रहे हैं। 28 दिसंबर को न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में ट्रम्प ने कहा, "मैं हमेशा से H-1B वीजा में विश्वास करता हूं। मेरी अपनी कंपनियों में भी कई H-1B वीजा धारक कर्मचारी हैं। यह एक बेहतरीन प्रोग्राम है।" यह बयान ट्रम्प के पिछले रूख से पूरी तरह उलट है। चुनाव में कैंपेनिंग के दौरान, वे इस वीजा का विरोध करते हुए इसे अमेरिकी नौकरी बाजार के लिए खतरा बताते थे।
क्या है H-1B वीजा
H-1B वीजा एक नॉन-इमीग्रेंट वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विशेष तकनीकी दक्षता वाले पदों पर विदेशी पेशेवरों की नियुक्ति की अनुमति देता है। टेक्नोलॉजी सेक्टर में यह वीजा बेहद लोकप्रिय है। हर साल 65,000 H-1B वीजा जारी किए जाते हैं। इनमें से लगभग 70% भारतीय पेशेवरों को दिए जाते हैं। भारतीयों के बाद चीन, कनाडा और दक्षिण कोरिया के नागरिक इस वीजा के प्रमुख लाभार्थी हैं।
विवेक रामास्वामी भी कर रहे समर्थन
मस्क के साथ ट्रम्प प्रशासन में शामिल हुए भारतवंशी विवेक रामास्वामी भी H-1B वीजा का समर्थन कर रहे हैं। उनका मानना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए दुनियाभर के टॉप प्रतिभाशाली लोगों को अवसर मिलना चाहिए।
दो धड़ों में बंटे ट्रंप समर्थक
हालांकि, H-1B वीजा पर ट्रम्प समर्थकों की राय आपस में बंटी हुई है। लॉरा लूमर, मैट गेट्ज और एन कूल्टर जैसे कंजर्वेटिव समर्थक इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह वीजा अमेरिकी लोगों की नौकरियां छीन रहा है।
दूसरी ओर, मस्क और रामास्वामी का कहना है कि यह प्रोग्राम अमेरिकी कंपनियों को वैश्विक प्रतिभाओं को आकर्षित करने में मदद करता है, जिससे अर्थव्यवस्था को फायदा होता है।
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