Aditi Rawat
4 Nov 2025
आपने शहर के चौक-चौराहों पर घोड़े पर सवार वीरों की मूर्तियां तो जरूर देखी होंगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन मूर्तियों में घोड़े की टांगें सिर्फ डिजाइन नहीं होतीं, बल्कि उनमें इतिहास का एक छिपा संदेश होता है?
इसे Horse Code या Equestrian Statue Code कहा जाता है। यह परंपरा 11वीं सदी से चली आ रही है और सबसे पहले अमेरिकी गृहयुद्ध के समय इस्तेमाल की गई थी। जब उस युद्ध में हजारों सैनिक मारे गए, तो उनकी याद में मूर्तियां बनाई गईं। उन मूर्तियों में मूर्तिकारों ने योद्धाओं की मृत्यु का तरीका दिखाने के लिए घोड़े की टांगों की स्थिति का उपयोग किया।
इस कोड के अनुसार,अगर घोड़े के दोनों पैर जमीन पर हों, तो इसका मतलब है कि वह वीर प्राकृतिक कारणों से मरा था, जैसे बीमारी या बुढ़ापा। अगर एक पैर हवा में हो, तो इसका मतलब है कि वह युद्ध में घायल हुआ, लेकिन उसकी मौत बाद में हुई। और अगर दोनों पैर हवा में रियरिंग पोज हों, तो यह दर्शाता है कि वह योद्धा युद्ध के मैदान में शहीद हुआ था।
यह कोड सबसे पहले वाशिंगटन डीसी में जॉर्ज थॉमस की मूर्ति में देखा गया, और बाद में गेटिसबर्ग बैटलफील्ड की लगभग 300 से ज्यादा मूर्तियों में भी यही नियम अपनाया गया।
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