Shivani Gupta
24 Nov 2025
नई दिल्ली। भारत का संविधान सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि आजादी के बाद नए भारत के सपनों को आकार देने वाला दस्तावेज है। इसे 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने अपनाया और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। इस दिन भारत पूरी तरह से एक संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य बना और तब से हर साल गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।
बता दें कि, संविधान लिखने का काम आसान नहीं था। आजादी के बाद देश में कई चुनौतियां थीं। अलग-अलग भाषाएं, संस्कृतियां, धर्म और सोच। ऐसे में एक ऐसा कानून बनाना था जो पूरे देश को एक सूत्र में बांध सके।
9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई। अलग-अलग राज्यों, समुदायों और विचारधाराओं से जुड़े प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया। चर्चा, बहस और सुझावों के बाद संविधान का प्रारूप तैयार किया गया।
संविधान निर्माण में सबसे बड़ी भूमिका डॉ. भीमराव आंबेडकर ने निभाई। उन्हें संविधान सभा ने ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष चुना। उन्होंने ऐसे प्रावधान बनाए जिससे देश में सभी नागरिकों को समान अधिकार, आजादी और न्याय मिल सके। डॉ. आंबेडकर ने कहा था- संविधान सिर्फ कागज पर लिखा दस्तावेज नहीं, बल्कि यह लोगों की आजादी की गारंटी है।

संविधान बनाने में लगभग 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे। कुल 1145 संशोधन और लंबे विचार-विमर्श के बाद आखिरकार संविधान तैयार हुआ। भारत का संविधान लोकतंत्र की सबसे बड़ी मिसाल है। यह देश के हर नागरिक को अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्य भी देता है। इसकी वजह से भारत एक मजबूत लोकतांत्रिक राष्ट्र बना और हर भारतीय को समानता, स्वतंत्रता और न्याय का अधिकार मिला। आज हम अपना सिर गर्व से ऊंचा उठाकर कह सकते हैं। हम भारत के नागरिक हैं और यह संविधान हमारा है।

देश के संविधान के बारे में नागरिकों के बीच जागरूकता फैलाने और संवैधानिक मूल्यों का प्रचार करने के लिए संविधान दिवस मनाने का फैसला किया गया था। इस दिन भारत ने अपने संविधान को स्वीकार किया था इसलिए सामाजिक न्याय मंत्रालय ने 19 नवंबर 2015 को यह फैसला लिया था कि 26 नवंबर को भारत सरकार संविधान दिवस के रूप में मनाए जाने की परंपरा शुरू करेगी। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा वर्ष 1979 में एक प्रस्ताव के बाद से इस दिन को ‘राष्ट्रीय कानून दिवस’ (National Law Day) के रूप में जाना जाने लगा था।