Mithilesh Yadav
9 Sep 2025
Aniruddh Singh
9 Sep 2025
भोपाल। राजधानी की जिला अदालत ने बेकसूर युवक अमन दांगी की हत्या करने वाले आरोपी रजत सैनी को मौत की सजा सुनाई है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी ने जान-बूझकर यह जघन्य अपराध किया, लिहाजा ये रेयर ऑफ द रेयरेस्ट केस में शामिल है। कोर्ट ने इस मामले में रजत को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई है।
रजत उर्फ सिद्धार्थ उर्फ माइकल को 2017 में ग्वालियर की अदालत ने आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी। वह सेंट्रल जेल ग्वालियर से 2022 में पैरोल पर बाहर आया था, लेकिन अवधि खत्म होने के बाद भी जेल नहीं लौटा। उसे जेल में बंद एक साथी कैदी ने अपने परिचित से पांच लाख उधार दिलाए थे। जेल से छूटने के बाद रजत पर रकम वापसी का दबाव भी था। जेल न जाना पड़े और पैसे न लौटाने पड़ें, इसलिए उसने किसी युवक की हत्या कर उसकी लाश को अपना नाम देने का प्लान बनाया। हालांकि दुनिया की आंखों में धूल झोंकने से पहले पुलिस ने रजत को सलाखों के पीछे भेज दिया था।
[caption id="attachment_74322" align="aligncenter" width="600"]रजत ने इसके लिए भोपाल को ठिकाना बनाया। उसने भोपाल में पहले रवि मीणा नाम के युवक से और फिर उसके जरिए दोराहा थाने के अंतर्गत सिगाड़ी गांव के निवासी अमन से दोस्ती की। अमन उस समय भोपाल में रहकर बीएससी सेकंड ईयर की पढ़ाई के साथ खुद का खर्च चलाने के लिए नौकरी भी करता था। पिछले साल जुलाई में मौका पाकर रजत ने अमन को अपने घर बुलाया और उस पर हथौड़े और बैट से ताबड़तोड़ हमले किए। इसके बाद जब अमन ने दम तोड़ दिया तो उसकी लाश को पहचान छिपाने के मकसद से पेट्रोल डालकर आग लगी दी। घटना के बाद खजूरी थाना पुलिस ने इस मामले में प्रकरण दर्ज कर छानबीन की थी।
रजत को लगा कि अमन की लाश को पुलिस उसकी लाश समझेगी, उसने बेहद चतुराई से लाश के पास रवि का मोबाइल रख दिया। जिससे पुलिस को लगे कि रवि ने रजक की हत्या कर दी है। हालांकि पुलिस ने जब मामले की गहराई से तफ्तीश की तो सच्चाई सामने आ गई। इसके बाद पुलिस ने रजत को गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले में धर्मेंद्र टाडा की अदालत में सुनवाई हुई। भोपल जिला अदालत में कार्यरत एडीपीओ वर्षा कटारे ने इस मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से पैरवी की थी। इस अपराध को चिन्हित अपराध की श्रेणी में रखा गया थ।
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