Aditi Rawat
15 Nov 2025
1950 के दशक में, जब इंजीनियरिंग में महिलाएं बहुत कम थीं, मुंबई की शकुंतला भगत भारत की पहली महिला सिविल इंजीनियर बनीं। उन्होंने VJTI से स्नातक किया और बाद में अमेरिका से मास्टर डिग्री हासिल की, भारत में महिलाओं के लिए इंजीनियरिंग के नए रास्ते खोले।
1950 के दशक में, जब भारत के इंजीनियरिंग कक्षाओं में अधिकतर पुरुष थे, मुंबई की शकुंतला ए. भगत ने चुपचाप इतिहास रच दिया। वे 1953 में वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजिकल इंस्टिट्यूट (VJTI) से स्नातक हुईं और बाद में अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की। उस समय के बहुत कम भारतीय महिलाओं में से एक बनने का गौरव उन्हें प्राप्त हुआ।
देश में आधुनिक अवसंरचना की नींव रखी जा रही थी, तब शकुंतला भगत ने इसे वास्तविकता में बदलने का निर्णय लिया। अपने पति डॉ. अनंत भगत के साथ, उन्होंने Quadricon Pvt. Ltd. की स्थापना की, जो मॉड्यूलर पुल डिज़ाइन में अग्रणी कंपनी बनी। उनके द्वारा विकसित Quadricon सिस्टम ने हल्के, प्रीफैब्रिकेटेड स्टील पुलों का मार्ग प्रशस्त किया, जिन्हें कठिन इलाकों में भी जल्दी और सुरक्षित तरीके से स्थापित किया जा सकता था।
उनकी डिजाइन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया और कई देशों में पेटेंट भी मिला। बाद में उन्होंने Unishear Connector का पेटेंट भी कराया, जिससे स्टील पुलों की मजबूती और स्थिरता और बढ़ गई। उनके सिस्टम ने भारत में पुल निर्माण की प्रक्रिया को बदल दिया, लागत और समय दोनों में बचत की।
जब कार्यालयों में भी महिला इंजीनियर कम थीं, तब शकुंतला भगत निर्माण स्थलों पर हेलमेट पहनकर भारी स्टील संरचनाओं का निरीक्षण करतीं। उनकी यह साहसिक और शांत उपस्थिति लंबे समय तक महिलाओं के लिए इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नए रास्ते खोलने का उदाहरण बनी। आज शकुंतला भगत का काम भारत की सिविल इंजीनियरिंग की धरोहर का हिस्सा है। उन्होंने न केवल स्टील के पुल बनाए, बल्कि संभावनाओं के पुल भी बनाए, जो महिलाओं को इंजीनियरिंग और नवाचार के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करते हैं।