Naresh Bhagoria
20 Dec 2025
Naresh Bhagoria
20 Dec 2025
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20 Dec 2025
पल्लवी वाघेला
भोपाल। सात साल से चल रहे तलाक के केस में बेटी मां के साथ रहते हुए धीरे-धीरे पिता से दूर हो गई थी। फैमिली कोर्ट ने 14 वर्षीय बच्ची की भी काउंसलिंग शुरू की। उसे समझाया कि शिक्षा और अन्य जरूरतें पिता पूरी करते हैं और उसे मां जितना ही प्यार भी करते हैं। आखिर, बच्ची ने पिता के साथ वक्त बिताने हामी भरी। इस मुलाकात के बाद बेटी ने पिता के साथ सेल्फी ली और पोस्ट कर पापा के लिए प्यारा सा मैसेज भी लिखा। बीते एक साल में फैमिली कोर्ट में ऐसी 22 सक्सेस स्टोरी सामने आई हैं, जिनमें माता-पिता के बीच के विवाद से पड़ने वाले नकारात्मक असर से भोपाल फैमिली कोर्ट ने बचाया है। बच्चों के मानसिक संबल का भी ध्यान रख रहा है ताकि विवाद का नकारात्मक प्रभाव बच्चों पर न पड़े।
अभिभावकों के आपसी झगड़े को देखते हुए कोर्ट ने दो साल पहले मुलाकात स्थल को भी काउंसलिंग सेंटर में ही स्थानांतरित कर दिया था। यहां काउंसलर्स ने बच्चों के व्यवहार पर गौर किया और काउंसलिंग की पहल हुई। बीते बारह माह में जो सफल केस सामने आए उसमें नौ बच्चों के अपने अभिभावक से रिश्ते सुलझे, छह बच्चे डिप्रेशन से बाहर आए। वहीं, सात बच्चों का आक्रामक व्यवहार बदला हुआ नजर आया है।
केस-1 : अलगाव के बाद मां को दुधमुंही बेटी की कस्टडी दी गई, जबकि पिता बेटे की कस्टडी लेने में सफल रहा। बीते छह साल में पिता ने मां से मिलने नहीं दिया जिससे वो मां से चिढ़ने लगा था। उसकी काउंसलिंग कर मां से मुलाकात करवाई गई। अब वह हर महीने दो बार मां से मिलना चाहता है। अगली बार 15 वर्षीय किशोर ने मां और बहन से मिलने की खुद इच्छा जताई। साथ ही कहा कि वह हर महीने दो दिन मां और बहन के साथ भी बिताएगा।
केस-2 : माता-पिता के झगड़ों का असर उनकी नौ साल की बच्ची पर नजर आने लगा। बच्ची और माता-पिता की काउंसलिंग की गई। करीब चार माह की काउंसलिंग के बाद बच्ची का गुस्सा कम होने की जानकारी स्कूल से मिली है।
सामान्य स्थिति में बच्चे माता-पिता दोनों के साथ रहना चाहते हैं। कई बार ऐसा नहीं होता तो चीजें असामान्य हो जाती हैं। वह जिसके साथ रहते हैं, उससे प्रेम और दूसरे से नाराज हो जाते हैं। उनकी यह नाराजगी उनके पूरे जीवन को असामान्य बना सकती है। ऐसे में हमारा प्रयास यही होता है कि वे नई स्थिति में भी उनकी सकारात्मकता बनी रहे और अपने पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को सकारात्मक तरीके से लें। मेरी सभी माता-पिता से अपील है कि वे अपने अपने विवादों की नकारात्मक छाया बच्चों पर न पड़ने दें। उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नजर रखें और सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।
शैल अवस्थी, काउंसलर, फैमिली कोर्ट