प्रीति जैन। वॉटर फास्टिंग को लेकर इन दिनों सोशल मीडिया पर कई वीडियोज आ रहे हैं लेकिन गलत तरीके से की गई वाटर फास्टिंग जानलेवा साबित हो सकती है। केरल के कन्नूर जिले की 19 साल की एक लड़की ने सोशल मीडिया से प्रभावित होकर वजन कम करने के लिए वॉटर फास्टिंग की। उसने एक साल तक ठीक से भोजन नहीं किया। उसे ईटिंग डिसऑर्डर एनोरेक्सिया नर्वोसा हो गया। शरीर के कई ऑर्गन्स भी डैमेज हो गए और हॉस्पिटल में इलाज के बावजूद उसकी मौत हो गई। वहीं, न्यूट्रीशनिस्ट के मुताबिक वाटर फास्टिंग से वजन कम होता है लेकिन वीकएंड पर ही वॉटर फास्टिंग करें ताकि घर पर ही रहा जा सके, जब शरीर को बहुत ज्यादा ऊर्जा की जरूरत न हो।
नवरात्रि के दौरान एक महिला ने वॉटर फास्टिंग की लेकिन यह तीन दिन की हो गई थी जिसकी वजह से सोडियम लेवल कम हुआ और महिला बेहोशी की हालत में हॉस्पिटल आई।
लो बीपी वाली एक युवती ने वॉटर फास्टिंग की लेकिन इससे उसका बीपी और लो हो गया और माइग्रेन की वजह से सिरदर्द बढ़ता गया। उसे अस्पताल में एडमिट करना पड़ा।
वाटर फास्टिंग में व्यक्ति किसी भी तरह का भोजन नहीं करता है, सिर्फ पानी पीता है। लेकिन इसे दो से तीन महीने तक करना होता है। इसे शुरू करने की पूरी प्रोसेस हैं, यानी कम से कम एक हफ्ते पहले से हर दिन खाना कम करते हुए और फास्ट फूड पूरी तरह से बंद करते हुए इसे शुरू करें। पानी का इंटेक बढ़ाएं ताकि बाद में पानी पीने से उबकाई न आएं। लो बीपी व माइग्रेन के मरीज से बिल्कुल न करें। वाटर फास्टिंग 24 से 72 घंटे तक करने की सलाह दी जाती है। इससे हमारे शरीर में एक खास प्रक्रिया जन्म लेती है, जिसे ऑटोफेजी कहते हैं। इस प्रक्रिया से शरीर में सबसे स्वस्थ कोशिकाएं शेष रह जाती हैं। जिन लोगों का वजन सामान्य से ज्यादा है, उन्हें ही यह फास्टिंग करना चाहिए। इसे सही तरीके से किया जाए तो बहुत फायदेमंद हो सकती है। -निधि शुक्ला पांडे, डाइटीशियन