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दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह कांग्रेस से 6 साल के लिए निष्कासित, विवादित बयान बना कारण, पार्टी ने जारी किया आदेश

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में उस वक्त हलचल मच गई जब कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। पार्टी ने उनके हालिया विवादास्पद बयानों को गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए यह कड़ा कदम उठाया।

पार्टी ने लक्ष्मण की राहुल गांधी, उमर अब्दुल्ला, रॉबर्ट वाड्रा पर की गई टिप्पणी को अनुशासनहीनता माना है।

पहलगाम घटना के बाद दिया था विवादास्पद बयान

गुना में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान लक्ष्मण सिंह ने राहुल गांधी और रॉबर्ट वाड्रा को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था- रॉबर्ट वाड्रा कहते हैं कि मुसलमानों को सड़क पर नमाज नहीं पढ़ने दिया जा रहा, इसलिए आतंकी हमला हुआ। राहुल गांधी को पहलगाम की घटना पर सोच-समझकर बोलना चाहिए। इन लोगों की नादानी के कारण ही इस तरह की घटनाएं होती हैं। पार्टी ने इसे गंभीर अनुशासनहीनता और अस्वीकार्य सार्वजनिक टिप्पणी करार दिया।

उमर अब्दुल्ला पर दिया था विवादित बयान

पहलगाम आतंकी हमले को लेकर लक्ष्मण सिंह ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला आतंकवादियों से मिले हुए हैं। कांग्रेस को तुरंत नेशनल कांफ्रेंस से समर्थन वापस ले लेना चाहिए।

प्रभारी हरीश चौधरी ने दिए थे कार्रवाई के संकेत

मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी ने बीते दिनों पत्रकारों से बातचीत में लक्ष्मण सिंह पर कार्रवाई के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि इंतजार कीजिए, आपके सवाल का जवाब जल्द मिल जाएगा। 3 जून को राहुल गांधी की संगठन सृजन को लेकर हुई बैठक के बाद कार्रवाई की संभावना और प्रबल हो गई थी।

राघौगढ़ रियासत और कांग्रेस

बता दें कि राघौगढ़ रियासत मध्यप्रदेश की राजनीति में हमेशा प्रभावशाली रही है। दिग्विजय सिंह ने यहीं से मुख्यमंत्री पद तक का सफर तय किया। अब उनके बेटे जयवर्धन सिंह विधायक हैं। लक्ष्मण सिंह ने भी चाचौड़ा से विधायक और सांसद रहकर अपनी राजनीतिक पकड़ बनाई, लेकिन उन्हें परिवार और पार्टी से वह सम्मान नहीं मिला जिसकी उन्हें अपेक्षा थी।

2018 में मंत्री न बनाए जाने से गहरी हुई नाराजगी

जब 2018 में 15 साल बाद कांग्रेस मध्यप्रदेश की सत्ता में लौटी, तो लक्ष्मण सिंह को उम्मीद थी कि उन्हें वरिष्ठता के आधार पर मंत्री पद मिलेगा। लेकिन पार्टी ने जयवर्धन सिंह को मंत्री बना दिया। इससे लक्ष्मण सिंह बेहद आहत हुए। हालांकि उन्होंने खुलकर विरोध नहीं जताया, लेकिन बयानों और रवैये से समय-समय पर अपनी पीड़ा जाहिर करते रहे।

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