vikrant gupta
8 Oct 2025
Mithilesh Yadav
7 Oct 2025
राजीव सोनी, भोपाल। द्वापर युग में जन्मे भगवान श्रीकृष्ण के नाम से जुड़े ‘माखन चोर’ शब्द पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आपत्ति उठाई है। जन्माष्टमी उत्सव पर बाल-गोपालों के बीच चर्चा के दौरान उन्होंने यह नकारात्मक संबोधन जनमानस से ‘डिलीट’ करने का संकल्प लिया है। इसके लिए सरकार अभियान शुरू करेगी। स्कूली पाठ्यक्रम, धर्मगुरुओं, कथावाचकों और मीडिया के माध्यम से सनातन धर्मियों में फैली इस भ्रांति को दूर किया जाएगा। मुख्यमंत्री का कहना है कि संसार को सुख देने वाले योगेश्वर, पूर्णावतार श्रीकृष्ण के चरित्र पर ‘चोर’ का टैग ठीक नहीं।
मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार श्रीराम तिवारी ने ‘पीपुल्स समाचार’ से हुई विशेष बातचीत में इस मुद्दे को लेकर सीएम और सरकार की मंशा स्पष्ट की। केवल कुछ शब्दों और छवियों के बहाने जो दुष्प्रचार और भारत विखंडन का षडयंत्र है, उसका विच्छेद करने की कोशिशभर है। उन्होंने तर्क दिया कि शास्त्रों और धर्मग्रंथों में श्रीकृष्ण के सहस्त्रनाम हैं लेकिन माखन चोर का जिक्र नहीं। प्रस्तुत है चर्चा के प्रमुख अंश...
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सवाल: 'माखन चोर ' की टैग लाइन हटाने की जरूरत क्यों पड़ी?
हमारे देवी-देवताओं को लेकर अनुचित बात उचित नहीं। सीएम का उद्देश्य सिर्फ मिथ्या धारणा की तरफ ध्यान दिलाना है। हमारे इतिहास को लेकर जो भ्रम खड़े किए गए हैं, उसके निवारण की कोशिश है।
सवाल: जनमानस के मन से इसे कैसे हटाएंगे, सरकार क्या आदेश निकालेगी?
आदेश नहीं निकालेंगे, समाज के बीच अलख जगाएंगे। धर्मगुरु-कथावाचक एवं मीडिया के अलावा भागवत ज्ञान प्रतियोगिता और पॉडकॉस्ट के माध्यम से काम करेंगे।
सवाल: क्या यही कारण है कि इस साल जन्माष्टमी पर्व को लेकर मप्र में ज्यादा सजावट-धूमधाम दिखी?
हमने होटल्स और अन्य संस्थाओं से आग्रह किया था कि क्रिसमस-न्यू ईयर पर सजावट होती है फिर भगवान के जन्मोत्सव पर क्यों नहीं..? यह बात सभी को उचित लगी।
सवाल: लेकिन मध्यप्रदेश में भगवान श्रीकृष्ण सहित अन्य कई मंदिरों के उपेक्षित होने की शिकायतें भी हैं?
सरकार का इन पर भी ध्यान है। मंदिरों की साफ-सफाई और मरम्मत की व्यवस्था की गई है।
सवाल: महाराज विक्रमादित्य, उज्जैन-अवंतिका और मप्र से जुड़े पौराणिक प्रसंगों की ब्रांडिंग पर क्या कहेंगे?
देखिए, भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली के अलावा यहां उनकी ससुराल भी है। अमझेरा का रुकमणि प्रसंग, जानापाव(इंदौर) से सुदर्शन चक्र, नारायणा(उज्जैन)-कृष्ण-सुदामा मित्रता। वराह मिहिर, खगोल विज्ञान और वैदिक घड़ी तो जगजाहिर है।
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