कोलकाता। मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने को लेकर चल रहे विवाद के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि राज्य की रोजगार गारंटी योजना ‘कर्मश्री’ का नाम महात्मा गांधी के नाम पर रखा जाएगा।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में रोजगार गारंटी योजना ‘कर्मश्री’ की शुरुआत साल 2024 में की गई थी। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी गरीब परिवारों को रोजगार और आजीविका के अवसर उपलब्ध कराना है। अब इस योजना का नाम बदलकर ‘महात्मा गांधी कर्मश्री योजना’ किए जाने की संभावना है।
जानें अपनी स्पीच में क्या बोलीं सीएम
- बंगाल की ममता सरकार का कहना है कि योजना का नाम महात्मा गांधी के नाम पर रखने का उद्देश्य उनके योगदान को सम्मान देना है, साथ ही यह साफ संदेश देना भी है कि राज्य बेरोजगार लोगों को काम उपलब्ध कराने को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार मनरेगा के तहत फंड रोक रही है, लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार पीछे नहीं हटेगी। सरकार आने वाले समय में काम के दिनों की संख्या बढ़ाकर 100 तक करने का लक्ष्य रखती है।
- मुख्यमंत्री ने बताया कि कर्मश्री योजना के तहत पहले ही कई कार्यदिवस तय किए जा चुके हैं और इन्हें राज्य अपने संसाधनों से चला रहा है। उन्होंने साफ कहा कि अगर केंद्र की ओर से फंड नहीं भी मिलता है, तब भी यह सुनिश्चित किया जाएगा कि लोगों को रोजगार मिले। “हम भिखारी नहीं हैं,” उन्होंने दो टूक कहा।
- ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल एक शांतिपूर्ण राज्य है और सोशल मीडिया पर जो नकारात्मक बातें फैलाई जा रही हैं, वे पूरी तरह झूठी हैं। उनका आरोप है कि कुछ लोग भ्रामक वीडियो और गलत खबरें फैलाकर राज्य की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इससे बंगाल को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता।
- उन्होंने कहा कि आलोचना करने वालों को यह समझना चाहिए कि राज्य में बड़े पैमाने पर विकास हुआ है। आज बंगाल देश के प्रमुख लॉजिस्टिक्स हब में शामिल है और दक्षिण-पूर्व एशिया, पूर्वी भारत और उत्तर-पूर्वी राज्यों तक पहुंचने का एक अहम मार्ग बन चुका है।
2024 में शुरू हुई थी 'कर्मश्री' योजना
पश्चिम बंगाल सरकार ने सील 2024 में ‘कर्म श्री’ योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का मकसद ग्रामीण इलाकों में जॉब कार्ड रखने वाले हर परिवार को एक वित्तीय वर्ष के दौरान कम से कम 50 दिन का मजदूरी आधारित रोजगार उपलब्ध कराना है। सरकार का मानना है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी कम होगी और लोगों की आमदनी बढ़ने के साथ-साथ उनके जीवन स्तर में भी सुधार आएगा।