Priyanshi Soni
30 Oct 2025
खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के नर्मदानगर में गुरुवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नर्मदा नदी में 6 मगरमच्छों को छोड़ा। इनमें चार मादा और दो नर मगरमच्छ शामिल हैं। कार्यक्रम के दौरान मगरमच्छों को पिंजरे से बाहर निकाला गया, लेकिन करीब एक घंटे तक वे पानी में नहीं उतरे। इसके बाद मुख्यमंत्री और वन विभाग के कर्मचारी खुद उन्हें लाठी से आगे बढ़ाते हुए नदी में छोड़ा। यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री की अगुवाई में जलीय वन्यजीव संरक्षण के तहत आयोजित किया गया था।
मीडिया ने जब मुख्यमंत्री से पूछा कि क्या मगरमच्छों से स्थानीय लोगों को खतरा नहीं होगा, तो उन्होंने कहा- जहां मगरमच्छ छोड़े गए हैं, वहां सेंचुरी घोषित की जा रही है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि 1 नवंबर, मध्य प्रदेश स्थापना दिवस के अवसर पर ओंकारेश्वर अभयारण्य की घोषणा की जाएगी। उन्होंने पास में खड़े वन मंत्री विजय शाह की ओर इशारा करते हुए कहा कि इनके जन्मदिन पर सेंचुरी की घोषणा करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम ‘पुण्य सलिला मां नर्मदा के वाहन मगरमच्छ को मां नर्मदा में बसाने’ के संकल्प को पूरा करने की दिशा में उठाया गया है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार वन्यजीव और जलीय जीवों के संरक्षण के लिए संकल्पित है। मगरमच्छ मां नर्मदा के वाहन हैं। राज्य सरकार उनके वाहन को मां नर्मदा में बसाने का संकल्प पूरा कर रही है। नर्मदा की धारा उनके आवास के लिए अत्यंत उपयुक्त है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में मगरमच्छ और घड़ियाल जैसे जलीय जीवों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। सरकार इन जीवों के संरक्षण के लिए अभियान चला रही है, जिसका सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है।
जिला पंचायत सीईओ डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा ने बताया कि सभी 6 मगरमच्छ भोपाल से नर्मदानगर लाए गए थे। इन्हें राज्य के विभिन्न हिस्सों से रेस्क्यू कर सुरक्षित रखा गया था, जिसके बाद इंदिरा सागर डैम के बैकवाटर में छोड़ा गया। वन विभाग के मुताबिक, नर्मदा नदी की धारा और जलवायु मगरमच्छों के लिए अत्यंत अनुकूल आवासीय परिस्थितियां प्रदान करती है।
सरकार के इस फैसले का स्थानीय मछुआरा समुदाय और मछुआरा कांग्रेस ने विरोध किया है। मछुआरा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सदाशिव भंवरिया ने कहा- मुख्यमंत्री ने इंदिरा सागर डैम के तीन जिलों खंडवा, हरदा और देवास के हजारों मछुआरों को साक्षात मौत परोस दी है। जहां मगरमच्छ छोड़े गए हैं, वह करीब एक लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र है। अब वहां इनका परिवार बढ़ेगा और मछुआरों के लिए खतरा बनेगा।
भंवरिया ने बताया कि डूब प्रभावित और विस्थापित मछुआरे पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर हैं। उनके पास छोटी नावें हैं, कई तो बस टायर ट्यूब पर बैठकर मछलियां पकड़ते हैं। ऐसे में मगरमच्छ उनकी जान के लिए खतरा साबित होंगे।
पर्यावरण विशेषज्ञों ने सरकार के इस कदम को जलीय पारिस्थितिकी संतुलन के लिए अच्छा बताया है, लेकिन यह भी कहा कि मगरमच्छों की मौजूदगी से स्थानीय मछुआरों और ग्रामीणों को सतर्क रहना होगा। वन विभाग को नदी किनारे चेतावनी बोर्ड लगाने और जागरूकता अभियान चलाने की सलाह दी गई है।