Aniruddh Singh
9 Oct 2025
बीजिंग। चीन ने गुरुवार को रेयर अर्थ मिनरल्स के निर्यात नियंत्रण को और कड़ा करते हुए वैश्विक रक्षा और सेमीकंडक्टर उद्योगों को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाला बड़ा कदम उठाया है। वाणिज्य मंत्रालय की नई अधिसूचना के अनुसार अब रेयर अर्थ खनन, पिघलाने, प्रोसेसिंग, असेंबली, मरम्मत और उत्पादन लाइनों के उन्नयन से जुड़ी तकनीक या उपकरणों का निर्यात केवल सरकारी अनुमति से ही संभव होगा। यह नियंत्रण तुरंत प्रभाव से लागू कर दिए गए हैं। इस फैसले से पहले अप्रैल 2025 में चीन ने इसी तरह के व्यापक निर्यात नियंत्रण लगाए थे, जिससे दुनिया भर में रेयर अर्थ सामग्री की भारी कमी पैदा हो गई थी। बाद में यूरोप और अमेरिका के साथ कुछ समझौतों के बाद आपूर्ति आंशिक रूप से फिर से शुरू हुई थी। नई नीति से यह स्पष्ट है कि चीन अब अपनी तकनीकी और खनिज संपदा को रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।
रेयर अर्थ मिनरल्स जैसे नियोडिमियम, टर्बियम और डिसप्रोसियम आधुनिक उद्योगों की रीढ़ हैं। इनका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल फोन, पवन टर्बाइनों, जेट इंजनों और सैन्य रडार जैसे उपकरणों में होता है। विश्व स्तर पर रेयर अर्थ उत्पादन में चीन का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि प्रोसेसिंग और स्थायी चुंबक (परमानेंट मैग्नेट) उत्पादन में उसका दबदबा 90 प्रतिशत तक है। इसलिए जब चीन निर्यात पर रोक लगाता है, तो उसका असर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर सीधा पड़ता है। नई पाबंदियों के तहत रेयर अर्थ से बने मैग्नेट की अधिक श्रेणियों पर भी निर्यात नियंत्रण लगाया गया है। इसके अलावा, इन धातुओं को रीसायकल करने वाली मशीनें या उपकरण भी अब निर्यात लाइसेंस के अधीन होंगे।
इसका अर्थ यह है कि चीन के बाहर कोई भी निर्माता यदि चीनी मशीनों या तकनीक का उपयोग करता है, तो उसे अपने उत्पादों के निर्यात के लिए अलग से अनुमति लेनी होगी। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने पहली बार यह भी स्पष्ट किया है कि रक्षा क्षेत्र के विदेशी उपभोक्ताओं को किसी भी स्थिति में लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। वहीं, सेमीकंडक्टर निर्माण से जुड़ी कंपनियों को मामले-दर-मामले पर अनुमति दी जाएगी, यानी चीन अब यह तय करेगा कि किसे तकनीक मिलेगी और किसे नहीं। इसके साथ ही चीनी कंपनियों को भी चेतावनी दी गई है कि वे विदेशों में बिना सरकारी अनुमति के किसी भी विदेशी कंपनी के साथ रेयर अर्थ से जुड़ा सहयोग या निवेश नहीं कर सकतीं।
इसका उद्देश्य यह है कि चीन की तकनीक और संसाधन किसी भी विदेशी रक्षा या उच्च-तकनीकी प्रतिस्पर्धी के हाथों में न जाएं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। रक्षा उपकरण बनाने वाले देशों के साथ-साथ सेमीकंडक्टर उद्योगों को भी वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता ढूंढने में कठिनाई होगी। चीन यह संदेश दे रहा है कि जो भी उसके आर्थिक या सामरिक हितों के खिलाफ जाएगा, उसे उसकी तकनीकी निर्भरता का एहसास कराया जाएगा। संक्षेप में, चीन ने रेयर अर्थ पर नियंत्रण को एक सामरिक हथियार के रूप में प्रयोग करने की दिशा में निर्णायक कदम उठाया है, जिससे वह न केवल अपने उद्योगों की सुरक्षा करेगा बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन में भी अपनी भूमिका को और मजबूत करेगा।